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गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई से पत्रकार ने पूछा- 'आखिरी बार कब रोये थे', जानिए क्या दिया जवाब

By वैशाली कुमारी | Updated: July 13, 2021 12:45 IST

गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में कई मुद्दों पर बात की। इसी दौरान पत्रकार ने उनसे पूछा कि वे आखिरी बार कब रोए थे।

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ठळक मुद्देसुंदर पिचाई ने बीबीसी के साथ इंटरव्यू में कई मुद्दों पर की बातसुंदर पिचाई ने इस इंटरव्यू में भारत में व्यतीत किए बचपन के दिनों का भी जिक्र कियापिचाई ने साथ ही कहा कि जब दुनिया भर में कोविड से लगातार बड़ी संख्या में मौतें हो रही थी, तो उनके लिए भी इसे देखना मुश्किल था

 दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों  में से एक और दुनिया के सबसे शक्तिशाली सीईओ में से एक गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई  के लिए भी पिछले कुछ दिन काफी मुश्किल भरे रहे। पिछले कुछ समय से पूरी दुनिया में कोरोना से जो हालात पैदा हुए है उन हालोतों से हम सब निराश हुए, अपनों को खोने का दर्द महसूस किया। हर किसी की आंखें आंसुओं से भरी थीं। उस वक्त सुंदर पिचाई भी खुद को रोक नहीं पाएं थे और भावुक हो गए थे, इसका बात का खुलासा उन्होंने खुद एक इंटरव्यू के जरीये किया है।

 कोविड-19 के दौरान लाशों को देख कर भावुक हुये  

Google और अल्फाबेट के सीईओ, सुंदर पिचाई के लिए, महामारी ने उन्हें भावनात्मक रूप से भी प्रभावित किया। कैलिफ़ोर्निया में सिलिकॉन वैली में Google मुख्यालय में बीबीसी के साथ एक इन्टरव्यू  में बातचीत के दौरान अमोल राजन ने पिचाई से पूछा कि वह आखिरी बार कब रोये थे।

इस पर पिचाई का जवाब था, "COVID के दौरान दुनिया भर में मुर्दाघर के ट्रकों को देखकर। और देख रहे हैं कि पिछले एक महीने में भारत में क्या हुआ है।" भारत में अप्रैल के मध्य से मई के महीने में एक घातक दूसरी लहर देखी गई, जिसमें हजारों लोग मारे गए और गंगा नदी में शवों के इस तरह दिखने और चौबीसों घंटे शवों के जलने की तस्वीरें सामने आईं।

 मैं एक अमेरिकी नागरिक, पर भारत मेरे अंदर समाया है 

साक्षात्कार के दौरान, पिचाई ने कहा कि वह दक्षिण भारत में तमिलनाडु में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हैं और विभिन्न तकनीकों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा- हर शाम हम दूरदर्शन के 'सारे जहां से अच्छा' के विशेष गायन कार्यक्रम से हम टेलीविजन की ओर आकर्षित होते थे।  

 पिचाई के पिता ने जब उन्हें विदेश भेजा 

पिचाई ने आगे कहा, "मेरे पिता ने अमेरिका में मेरे हवाई जहाज के टिकट पर एक साल के वेतन के बराबर खर्च किया ताकि मैं स्टैनफोर्ड में भाग ले सकूं। यह मेरी पहली  हवाई यात्रा थी।"

 पिचाई ने कहा, जब वह कैलिफोर्निया में उतरे, तो चीजें वैसी नहीं थीं जैसी उन्होंने कल्पना की थी। "अमेरिका महंगा था। एक फोन कॉल $ 2 प्रति मिनट से अधिक था, और एक बैग की कीमत मेरे पिताजी के भारत में मासिक वेतन के बराबर थी।"

 जुनून और भाग्य ने आज यहाँ तक पहुँचाया 

48 वर्षीय पिचाई ने कहा, "केवल एक चीज जो मुझे यहां से वहां तक ​​ले गई - भाग्य और नयी चीजों को देखने और समझने का जुनून"।

पिचाई चेन्नई में पले-बढ़े और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसेक बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री की और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। वे 2004 में Google कंपमी में शामिल हुए।

 

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