नई दिल्ली: ट्विटर के पूर्व अधिकारियों ने विभिन्न मामलों को संभालने में हुई गलतियों को स्वीकार किया है। इसमें अक्टूबर 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर बाइडेन की लैपटॉप से लीक हुई सामग्रियों से जुड़ी खबरों, चिकित्सा पेशेवरों की कोविड पर राय को सेंसर करना सहित कई बातें शामिल हैं। हालांकि, इन पूर्व अधिकारियों ने हंटर बाइडन से जुड़ी खबरों से संबंधित निर्णय लेने को लेकर किसी तरह के सरकारी दबाव से स्पष्ट रूप से इनकार किया।
राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन और परिवार की जांच कर रहे नए रिपब्लिकन बहुमत वाले 'हाउस ओवरसाइट कमेटी' के सामने सुनवाई के दौरान ट्विटर के पूर्व डिप्टी काउंसिल जेम्स बेकर, ट्रस्ट और सेफ्टी के पूर्व प्रमुख योएल रोथ और पूर्व मुख्य कानून अधिकारी विजया गड्डे से पूछताछ की गई। इस समिति का उद्देश्य हंटर बाइडन की लैपटॉप लीक वाली खबरों से संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ आरोपों और प्लेटफॉर्म पर सेंसरशिप के बारे में अन्य दूसरी शिकायतों की जांच करना है।
अमेरिका के केंटकी (Kentucky) प्रांत से आने वाले रिपब्लिकन जेम्स कॉमर इस समिति के प्रमुख हैं। कॉमर दरअसल बाइडन परिवार के कारोबारी लेन-देन की जांच का नेतृत्व कर रहे हैं। इस व्यापक जांच में 'ट्विटर फाइलों' के सार्वजनिक होने के बाद सोशल मीडिया दिग्गज के खिलाफ अन्य आरोपों की भी जांच की जा रही है।
बता दें कि ये 'ट्विटर फाइल' एलन मस्क के कार्यभार संभालने से पहले ट्विटर कर्मचारियों के आंतरिक संचार हैं। इसे कुछ हिस्सों में जारी किया गया था। जारी दस्तावेजों के जरिए दावे किए गए कि कैसे कंपनी के कर्मचारियों ने यूजर्स को ब्लॉक करने, पहुंच को रोकने, शैडो बैन के फैसले लिए। इसके अलावा, इसमें हंटर बाइडेन से जुड़ी खबरों को फैलने से रोकने में सरकार की भागीदारी के आरोपों पर भी चर्चा की गई है।
कॉमर ने एक बयान में कहा, 'अमेरिका ने सोशल मीडिया कंपनियों, मुख्यधारा की मीडिया और इंटेलिजेंस कम्यूनिटी द्वारा हंटर बाइडेन के लैपटॉप और उसकी सामग्री से जुड़ी बातों को दबाने के लिए मिलकर चलाया गया अभियान देखा। ट्विटर ने एफबीआई के साथ मिलकर अमेरिकियों की बातों की निगरानी के लिए लाखों डॉलर प्राप्त किए।'
'हंटर बाइडन से जुड़ी खबर दबाने में सरकार का हाथ नहीं'
हाल में मस्क के हाथ में ट्विटर की कमान आने के बाद इस कंपनी द्वारा कुछ अन्य पत्रकारों के जरिए जारी 'ट्विटर फाइल्स' में यह आरोप लगाया गया था कि अमेरिकी सरकार ने हंटर बाइडेन लैपटॉप से जुड़ी खबरों को सेंसर करने में भूमिका निभाई थी। इसमें कहा गया कि लैपटॉप से जुड़ी खबर को दबाने के लिए ट्विटर ने 'सरकार के आदेशों के तहत' काम किया। हालांकि, समिति के सामने गवाही देने वाले अधिकारियों ने सरकार की भूमिका से इनकार किया।
रोथ ने दावा किया कि ट्विटर के कार्यालय में इस बात को लेकर बहुत भ्रम था कि इस स्टोरी को कैसे संभाला जाना चाहिए क्योंकि वे इस प्लेटफॉर्म पर 'विदेशी लोगों' से आने वाली 'गलत सूचना' से निपटने में मुश्किलों का सामना कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट नहीं है कि राष्ट्रपति चुनाव पर किसी अन्य सरकार द्वारा संदिग्ध लेकिन पुष्टि नहीं होने वाले साइबर हमले के लिए सही प्रतिक्रिया क्या है। मेरा मानना है कि ट्विटर ने इस मामले में गलती की क्योंकि हम 2016 की गलतियों को दोहराने से बचना चाहते थे।'
उन्होंने कहा कि शुरू में वह इस खबर को प्रतिबंधित करने के खिलाफ थे, लेकिन कंपनी ने इसे दबाने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उसे लगा कि इसके पीछे एक रूसी हाथ हो सकता है।