इसलिए सोनम कपूर कर रही हैं सिख धर्म के अनुसार शादी, जानिए 'आनंद कारज' की 8 खास बातें
By गुलनीत कौर | Updated: May 7, 2018 13:55 IST2018-05-07T13:55:33+5:302018-05-07T13:55:33+5:30
आनंद कारज के चार फेरों को सिख धर्म के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी ने लिखा था।

इसलिए सोनम कपूर कर रही हैं सिख धर्म के अनुसार शादी, जानिए 'आनंद कारज' की 8 खास बातें
सोनम कपूर की शादी का हर फंक्शन और रीति-रिवाज मीडिया की सुर्खियों में बना हुआ है। मेहंदी के बाद अब आगे के फंक्शन कैसे होंगे, पापा अनिल कपूर ने कैसी-कैसी तैयारियां की हैं, हर बात को जानने की उत्सुकता सोनम के फैंस में देखने को मिल रही है। इस बीच खबर आई है कि सोनम कपूर की शादी सिख धर्म की 'आनंद कारज' रस्म के अनुसार होगी। यानी उनके हिन्दू फेरे नहीं होंगे बल्कि गुरुद्वारे में सिख धर्म के अंतर्गत होने वाले 'लावां-फेरे' होंगे। बताया जा रहा है कि सोनम के होने वाली पति यानी आनंद आहूजा सिख परिवार से हैं इसलिए यह शादी सिख धर्म के कायदों को ध्यान में रखते हुए ही की जा रही है. लेकिन यह आनंद कारज क्या है और यह कैसे हिन्दू फेरों से अलग है, आइए जानते हैं 8 खास बातें।
1. आनंद कारज में सिखों के 11वें गुरु, गुरु ग्रन्थ साहिब जी के चारों ओर चार फेरे लिए जाते हैं। और इन सभी फेरों में वर ही वधु के आगे चलता है।
2. हर फेरे से पहले उसकी एक संक्षिप्त व्याख्या की जाती है और फिर फेरों का 'शबद' के रूप में गायन करते हुए गाया जाता है। उस दौरान वर-वधु गुरु ग्रन्थ साहिब जी के चारों ओर एक फेरा लेते हैं और अंत में माथा टेककर वापस अपनी जगह पर बैठ जाते हैं।
3. फेरों से ठीक पहले वधु के पिता लड़की की चुनरी का पल्लो लड़के के कंधे पर डले कपड़े से बांध देते हैं। इस तरह से कन्यादान की रस्म अदा की जाती है।
4. चार फेरों के बाद शादी पूरी मानी जाती है और दोनों परिवारों को बधाई देते हुए गुरु ग्रन्थ साहिब जी में दर्ज शबद गाया जाता है।
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5. शबद कीर्तन के बाद अंत में अरदास की जाती है। वर-वधु को आशीर्वाद स्वरूप गुरु ग्रन्थ साहिब जी का स्पर्श करवाते हुए फूलों की माला गले में डाली जाती है।
6. आनंद कारज के चार फेरों को सिख धर्म के चौथे गुरु, गुरु रामदास जी ने स्वयं लिखा था।
7. आनंद कारज को लिखने के बाद पहली बार साल 1579 में सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जन देव जी का माता गंगा जी से विवाह किया गया था। तब आनंद कारज के इन्हीं चार फेरों को पढ़कर उनका विवाह कराया गया था।
8. आनंद कारज में 'कारज' संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है कार्य और आनंद शब्द यहां आध्यात्मिक खुशी को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया गया है।
