सोनम कपूर और आनंद आहूजा कर सकते हैं ट्रैडिशनल पंजाबी शादी, होंगी ये रस्में

By गुलनीत कौर | Published: May 4, 2018 12:21 PM2018-05-04T12:21:35+5:302018-05-04T12:21:35+5:30

पंजाबी शादी में शादी से पहले, शादी वाले दिन और उसके बाद भी कई सारी छोटी-छोटी रस्में निभायी जाती हैं।

Sonam kapoor wedding: Punjabi wedding rituals and customs in hindi | सोनम कपूर और आनंद आहूजा कर सकते हैं ट्रैडिशनल पंजाबी शादी, होंगी ये रस्में

Sonam kapoor wedding| सोनम कपूर आनंद आहूजा की शादी

बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर 8 मई को बॉयफ्रेंड आनंद आहूजा संग शादी के बंधन में बंध जाएंगी। उनके घर में उनकी शादी की तैयारी जोरों-शोरों से की जा रही है। खबर के अनुसार सोनम की शादी के सभी फंक्शन मुंबई में ही हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे शादी के कार्ड के मुताबिक उनकी शादी मुंबई के 'दि लीला होटल' में होगी। शादी के पहले के सभी फंक्शन भी मुंबई में ही होंगे। 

सोनम एक पंजाबी परिवार से हैं और उनके बॉयफ्रेंड भी पंजाबी ही हैं। तो कयास यही लगाए जा रहे हैं कि दोनों की शादी से पहले, शादी के दिन और उसके बाद के सभी रीति-रिवाज पंजाबी कल्चर को ध्यान में रखते हुए ही किए जाएंगे। तो आइए आपको बताते हैं कि सोनम कपूर और आनंद आहूजा की पंजाबी शादी में किस-किस तरह की रस्में हों सकती हैं और इन रस्मों के पीछे का मतलब क्या है

रोका या ठाका

यह लड़का और लड़की की शादी की सबसे पहली रस्म होती है जिसमें दोनों परिवार मिलते हैं और होने वाले दूल्हा-दुल्हन को शगुन देते हैं। लड़के के परिवार वाले लड़की की झोली में शगुन डालकर उसे अपना बनाने का वादा करते हैं। ठीक इसी तरह से लड़की वाले भी रस्म को निभाते हैं।

चुन्नी सेरेमनी

यह एक ऐसी रस्म है जिसे पुराने जमाने में महत्वपूर्ण माना जाता था। उस जमाने में लड़के वाले लड़की के घर जाकर लड़की पसंद करते थे और शादी पक्की करने के लिहाज से लड़की की झोली में नारियल, एक सिक्का और सिर पर चुनरी देते थे। आजकल यह रस्म कम ही देखने को मिलती है।

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सगाई

इसे आप पश्चिम देशों से आई हुई रस्म कह सकते हैं लेकिन आजकल पंजाबी वेडिंग में यह रस्म जरूर निभायी जाती है। दोनों परिवार, लड़का-लड़की और सभी रिश्तेदार इस रस्म में पहुँचते हैं। लड़का और लड़की एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं। कुछ पंजाबी शादियों में यह रस्म शादी से एक दिन पहले या शादी के दौरान भी निभायी जाती है।

मेहंदी

मेहंदी के बिना तो पंजाबी वेडिंग अधूरी ही होती है। मूलतः मेहंदी लड़की को ही लगाई जाती है लेकिन कुछ परिवारों में लड़के को भी मेहंदी लगाने की रस्म होती है। लड़की को लगने वाली मेहंदी उसके होने वाले ससुराल से आती है।

लेडीज संगीत

पंजाबी वेडिंग हो और नाच-गाना ना हो, ऐसा हो सकता है क्या? लेडीज संगीत पंजाबी शादियों की जान होता है। ढोलक ती तालपर नाचती लड़कियां और साथ ही उन्हें बीच-बीच में तंग करते लड़के, यह हर पंजाबी शादी की रौनक होती है। आजकल मॉडर्न पंजाबी शादियों में संगीत को ग्रैंड तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है जिसमें बाहर से परफार्मर बुलाये जाते हैं और डीजे भी प्ले किया जाता है।

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कंगना बांधना

शादी की सुबह लड़का और लड़की दोनों के दाहिने हाथ पर लाल रंग का धागा जिसे हम आम भाषा में मौली भी कहते हैं, उसे बांधा जाता है। यह दूल्हा-दुल्हन को बुरी नजर से बचाने और उन्हें जीवन में शुभ रंगों के साथ आगे बढ़ने के लिए बांधा जाता है।

चूड़ा चढ़ाना

शादी से कुछ घंटे पहले लड़की को लाल रंग की चूड़ियां चढ़ाई जाती हैं जिसे पंजाबी में 'चूड़ा' कहा जाता है। यह चूड़ा लड़की के मामा लाते हैं और मामा-मामी मिलकर ही इसे उसके हाथों में पहनाते हैं। चूड़े के एक-एक कंगन को पहले गुलाब की पंखुड़ियां मिले कच्चे दूध में डुबोया जाता है और फिर पहनाया जाता है। 

कलीरे

चूड़ा के ठीक बाद पहनाये जाते हैं कलीरे। पारम्परिक तौर पर कलीरे नारियल और मखानों के इस्तेमाल से बने होते हैं लेकिन आजकल फैशन के बढ़ते दौर में इस तरह के कलीरे गायब हो गए हैं। आजकल लड़कियां छोटे-छोटे गोल्डन कलीरे पहनती हैं जो उनकी ड्रेस के साथ मैच भी करते हैं। रस्म के अनुसार कलीरे बहनें और सहेलियां लड़की को बांधती हैं।

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हल्दी

हल्दी पहले लड़के को लगती है और फिर उसी हल्दी को लड़की के यहां भेजा जाता है। ससुराल से आई इस हल्दी को घर की सुहागिन स्त्रियां दुल्हन को लगाती हैं। हल्दी के अलावा दही, सरसों का तेल आदि लगाने की भी रस्म होती है। इसे 'बातणा' रस्म कहा जाता है। यह दूल्हा-दुल्हन दोनों को करनी होती है।

घड़ोली

हल्दी के ठीक बाद किसी पवित्र जल या पुराने कुएं से पानी भरकर लाया जाता है। इस रस्म में घर की सभी महिलाएं होती हैं। जोर-शोर से घड़ा भरकर पानी लाते हैं और इस पानी से ही दूल्हा-दुल्हन की हल्दी निकाली जाती है।

सेहराबंदी

कुछ पंजाबी वेडिंग में लड़के के मामा सेहरा बांधते हैं और कहीं-कहीं पर इस रस्म को बहनों द्वारा निभाया जाता है। सेहरा लगने के बाद ही दूल्हे को शादी के लिए पूरी तरह से तैयार माना जाता है।

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घोड़ी चढ़ना

सेहराबंदी के बाद दूल्हे को घोड़ी पर चढ़ाया जाता है। परिवार वाले उसकी नजर उतारते हैं और भाभियों द्वारा उसकी आंखों में 'काला सुरमा' यानी काजल लगाया जाता है ताकि उसे हर बुरी नजर से बचाया जा सके।

मिलनी

बारात के पहुंचने के बाद दोनों परिवारों के बीच मिलनी की जाती है। यह लड़की वालों की ओर से भव्य स्वागत की तरह होता है। लड़की के पिता लड़के के पिता को हार पहनाते हैं, तोहफा देते हैं और शगुन भी दिया जाता है। इसी तरह से लड़के के चाचा की लकड़ी के चाचा के साथ, मामा की मामा से, भाई की भाई से, आदि मिलनियां होती हैं। कुछ पंजाबी परिवारों में महिलाओं के बीच भी ऐसी मिलनी होती है।

वरमाला

वरमाला पारम्परिक ना होकर एक ऐसी रस्म है जिसे हिंदी सिनेमा ने काफी फेमस किया। मॉडर्न पंजाबी वेडिंग में आजकल घूमते हुए प्लेटफार्म पर, हवा में, ऊंचे स्टेज पर, आदि स्टाइल में वर-वधु एक दूसरे को फूलों की माला पहनाते हैं।

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कन्यादान

यह एक इमोशनल रस्म होती है जिसमें दुल्हन के पिता अपनी बेटी की चुनरी का पल्लू या फिर उसका हाथ लड़के के हाथ में पकड़ाते हैं और कहते हैं कि 'आज से मैनें अपनी बेटी इन्हें दान में दी'।

मंगल फेरे

सात फेरे और उनके सात वचन, यह सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। हर एक फेरे के साथ वर-वधु एक दूसरे का जिंदगी भर साथ निभाने का वचन लेते हैं। ये सात फेरे सभी देवताओं को साक्षी मानते हुए अग्नि देव के सामने लिए जाते हैं।

सिन्दूर दान

सात फेरों के बाद एक रुपये के सिक्के या अंगूठी के इस्तेमाल से वर सिन्दूर से वधु की मांग भरता है। इस रस्म को सिन्दूर दान कहते हैं। इसके बाद मंगलसूत्र भी पहनाया जाता है। इसके साथ ही दोनों पति-पत्नी कहलाते हैं।

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जूता छुपायी

दुल्हन की बहनें यानी दूल्हे की 'सालियां' दूल्हे के जूते को छुपाती हैं। शादी के अंत में इन जूतों को वापिस लौटाने पर उन्हें 'नेक' के रूप में पैसे दिए जाते हैं।

विदाई

विदाई के समय दुल्हन की बहन उसके पास एक प्लेट में चावल लेकर जाती है और उन चावलों को लड़की आगे चलते हुए पीछे की ओर अपने हाथों से उछालती है। यह उसके अपने घर में आखिरी रस्म होती है। 

पानी भरना

शादी के बाद और लड़के के घर पहुंचने पर गृहप्रवेश से पहले यह रस्म लड़के की मां निभाती है। पानी से भरे कलश से वर-वधु की नजर उतारी जाती है और इस पानी को लड़के की मां अंत में पीकर रस्म पूरी करती है।

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मुंह दिखाई

इस रस्म में घर की नई बहु को रिश्तेदार और आसपास की औरतें देखने आती हैं। लड़की का चेहरा घूंघट से ढका जाता है। एक-एक करके महिलाएं घूंघट उठाकर नई बहु का चेहरा देखती हैं और उसे शगुन के रूप में पैसे या तोहफा देती हैं। 

Web Title: Sonam kapoor wedding: Punjabi wedding rituals and customs in hindi

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