Sheetla Ashtami: शीतला अष्टमी व्रत 16 मार्च को, मानी जाती हैं रोग खत्म करने वाली देवी, जानिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं

By विनीत कुमार | Published: March 13, 2020 11:01 AM2020-03-13T11:01:34+5:302020-03-13T15:22:13+5:30

Sheetla Ashtami: शीतला माता को रोगों को दूर करने वाली देवी कहा गया है। वे माता दुर्गा का ही एक रूप हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर उनकी कृपा रहती है तो व्यक्ति तमाम रोगों से दूर रह सकता है।

Sheetala Ashtami 2020 vrat date on 16 March, why sheetla Maa called hindu godess who ends diseases | Sheetla Ashtami: शीतला अष्टमी व्रत 16 मार्च को, मानी जाती हैं रोग खत्म करने वाली देवी, जानिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं

शीतला अष्टमी पर इन बातों का रखें ध्यान

Highlightsआमतौर पर चिकन पॉक्स को शीतला माता से जोड़कर हिंदू मान्यताओं में देखा जाता हैशीतला माता रोगों से करती हैं रक्षा, शीतला अष्टमी को ही बसौड़ा या बसोरा भी कहा गया है

Sheetla Ashtami: भारत समेत दुनिया भर में कोरोना वायरस को लेकर अफरातफरी मची है। हर रोज रोगियों और मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत में भी अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 70 से ज्यादा हो चुकी है। साथ ही एक शख्स के मौत की भी खबर है। इन सब के बीच 16 मार्च को शीतला अष्टमी का व्रत किया जाएगा। 

माता दुर्गा के ही एक रूप मां शीतला के व्रत को कई जगहों पर बसौड़ा या बसोरा कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं में माता शीतला को रोग खत्म करने वाली देवी कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि अगर उनकी कृपा रहती है तो व्यक्ति तमाम रोगों से दूर रह सकता है। आईए जानते हैं शीतला अष्टमी व्रत के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

Sheetla Ashtami: चिकन पॉक्स से क्यों जोड़ते हैं शीतला माता को

हिंदू मान्यताओं में आम तौर पर चिकन पॉक्स को माता से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए भारत के कई घरों में आज भी जब किसी को चिकन पॉक्स होता है तो पूजा-पाठ को विशेष महत्व दिया जाता है। हालांकि, ये भी सही है कि विज्ञान की नजर में ये एक सामान्य बीमारी है जिसका उपचार किया जा सकता है। विज्ञान के अनुसार ये रोग एक तरह के वायरस के कारण होता है। 

बहरहाल, हिंदू धर्म में मान्यता है कि जिस पर माता का बुरा प्रकोप होता है उसे चिकन पॉक्स या दूसरी बीमारियां भी होती हैं। इस बीमारी के होने पर शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। कई लोगों को बुखार भी आता है। ऐसा कहा जाता है कि इस रोग में शीतला माता का पूजन करने से चेचक सहित फोड़े, फुंसी आदि से राहत मिलती है। शीतला का अर्थ ठंडा या शीतल होता है। इसलिए भी ऐसा कहा गया है कि ऐसे रोगों में शीतला माता का पूजन करने से शरीर को ठंडक पहुंचती है। 

Sheetla Ashtami: शीतला अष्टमी पर क्या करें और क्या नहीं

शीतला माता स्वच्छता का प्रतीक हैं। इसलिए घरों को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। माता शीतला को ही पथवारी भी कहते हैं और वे लोगों को गलत रास्ते पर जाने से बचाती हैं। ऐसी मान्यता है कि शीतला अष्टमी पर सुबह ठंडे पानी से नहाना चाहिए। संभव हो तो नहाने के जल में गंगा जल भी डाल दें।

मान्यताओं के अनुसार ये व्रत करने से संकटों से मुक्ति मिलती है और यश बढ़ता है। इस दिन गरम भोजन ग्रहण नहीं करने की बात कही जाती है। कुछ मान्यताओं में घर में चूल्हा तक नहीं जलाने की बात कही गई है। माता शीतला को भी बासी यानी एक दिन पहले बना प्रसाद भोग में चढ़ाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि शीतला माता को ठंडी चीजें बहुत प्रिय हैं। उनके लिए चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं। इन्हें सप्तमी की रात को बनाया जाता है। ये दिन यानी शीतला अष्टमी ऋतु परिवर्तन का भी संकेत देता है। ऐसा कहते हैं कि इस अष्टमी के बाद बासी खाना नहीं खाया जाना चाहिए।

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