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Pitru Paksha 2022: किस दिन किसका करना चाहिए श्राद्ध? क्या है पितृ पक्ष को लेकर मान्यताएं, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 7, 2022 15:17 IST

Pitru Paksha 2022: इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 10 सितंबर से हो रही है। 25 सितंबर को समापन होगा। ऐसे में जानिए पितृ पक्ष के दौरान किस दिन किनका श्राद्ध किया जाना चाहिए।

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ठळक मुद्देइस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 10 सितंबर से हो रही है, 25 सितंबर को होगा समाप्त।पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने की परंपरा, पहले और आखिरी दिन का महत्व विशेष है।किसी मृत व्यक्ति के मृत्यु की तिथि की जानकारी नहीं है तो उसका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर करना चाहिए।

Pitru paksha 2022: पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर (शनिवार) से हो रही है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भद्र पद की शु्क्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होगी और 25 सितंबर यानी आश्विन महीने की अमावस्या के दिन ये समाप्त हो जाएगा। हिंदू मान्यताओं में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। इसलिए उनका तर्पण और श्राद्ध किया जाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार अगर ऐसा नहीं किया जाता है को पितृ दोष लगता है।

पितृपक्ष का पहला और आखिरी दिन बेहद महत्वपर्ण

पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है और इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने की परंपरा है। इसमें ऐसे तो हर दिन का महत्व है लेकिन पहले और आखिरी दिन का महत्व विशेष है। 

पितृपक्ष-2022 की तिथियां

पूर्णिमा श्राद्ध – 10 सितंबरप्रतिपदा श्राद्ध – 11 सितंबरद्वितीया श्राद्ध – 12 सितंबरतृतीया श्राद्ध – 13 सितंबरचतुर्थी श्राद्ध – 14 सितंबरपंचमी श्राद्ध – 15 सितंबरषष्ठी श्राद्ध – 16 सितंबरसप्तमी श्राद्ध – 17 सितंबरअष्टमी श्राद्ध- 18 सितंबरनवमी श्राद्ध – 19 सितंबरदशमी श्राद्ध – 20 सितंबरएकादशी श्राद्ध- 21 सितंबरद्वादशी श्राद्ध- 22 सितंबरत्रयोदशी श्राद्ध – 23 सितंबरचतुर्दशी श्राद्ध- 24 सितंबरअमावस्या का श्राद्ध- 25 सितंबर

पितृपक्ष 2022: कब किनका करें श्राद्ध

ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। इसके मायने ये हुए कि जिस व्यक्ति की जिस तिथि पर मृत्यु हुई, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध किया जाना चाहिए। अगर किसी मृत व्यक्ति के मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी नहीं है तो फिर उसका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध योग कहा जाता है।

ऐसे ही अगर तिथि का ज्ञान नहीं हो तो त्रयोदशी के दिन पूर्ण विधान से मृत बच्चों का श्राद्ध करना चाहिए। जिन बच्चों की मृत्यु दो वर्ष या उससे कम में होती है, उसका श्राद्ध नहीं किया जाता है। इसके अलावा जिन बच्चों की उम्र 2 से 6 साल के बीच रही हो उनका श्राद्ध नहीं बल्कि मलिन षोडशी प्रक्रिया की जाती है। 6 साल से ज्यादा की उम्र के मृत बच्चों के लिए श्राद्ध किया जाना चाहिए।

पितृपक्ष समाप्त होने से पहले अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध करने की परंपरा है। अगर किसी की मृत्यु दुर्घटना, हत्या, किसी जानवर या सांप आदि के काटने से हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए। आत्महत्या करने वालों का भी श्राद्ध इस दिन करना चाहिए।

(ये आर्टिकल मान्यताओं पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते।)

टॅग्स :पितृपक्षहिंदू त्योहार
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