शारदीय नवरात्रि विशेष: नौ दिन, नौ देवी, नौ कहानियां और नौ मंत्र, इनके जाप से पूर्ण होगी हर इच्छा

By गुलनीत कौर | Published: October 1, 2018 03:16 PM2018-10-01T15:16:05+5:302018-10-01T15:16:05+5:30

Navratri Special (शारदीय नवरात्रि 2018): पुराणों में मां दुर्गा को आदि शक्ति का रूप माना गया है। और इसी देवी के नौ स्वरूपों की नवरात्रि के नौ दिनों में पूजा की जाती है।

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नवरात्रि हिन्दू धर्म का पावन पर्व है। ये त्यौहार साल में दो बार आता है। हिन्दू पंचांग के प्रथम महीने के साथ ही प्रारंभ होता है चैत्र मास और इसी महीने आती है चैत्र नवरात्रि। दूसरी बार अश्विन मास में शारदीय नवरात्रि मनाए जाते हैं। इन दोनों पर्वों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। 

पुराणों में मां दुर्गा को आदि शक्ति का रूप माना गया है। और इसी देवी के नौ स्वरूपों की नवरात्रि के नौ दिनों में पूजा की जाती है। यहां हम आपको प्रत्येक देवी की महिमा और उनसे जुड़ा मंत्र बताने जा रहे हैं। नवरात्रि के हर दिन देवी से जुड़े मंत्र का जाप करने से व्रत का फल मिलता है। 

प्रथम देवी: शैलपुत्री

नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का व्रत तथा पूजन किया जाता है। देवी शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इन्होंने पर्वतों के राजा हिमवंत के यहां जन्म लिया था। देवी का वाहन वृषभ है। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल है। देवी  शैलपुत्री का व्रत और पूजन करने वाले साधक को मन की शांति मिलती है।

देवी शैलपुत्री मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।'

द्वितीय देवी: ब्रह्मचारिणी

नवरात्रि के दूसरे दिन शक्ति के दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। देवी का यह रूप कठोर तपस्या का प्रतीक है। देवी ब्रह्मचारिणी ने एक हजार वर्ष तक केवल फल-फूल का सेवन करके योग्य वर पाने हेतु तपस्या की थी। देवी के तप से प्रसन्न होकर देवताओं ने उन्हें वरदान भी दिया। नवरात्रि में देवी ब्रह्मचारिणी का व्रत करने से सिद्धि प्राप्ति होती है।

देवी ब्रह्मचारिणी मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।'

तृतीय देवी: चंद्रघंटा

मां चंद्रघंटा नवदुर्गा का तीसरा स्वरूप है। देवी के सी स्वरूप में मुख पर तेज है, करोड़ है, यूं लगता हिया मानो युद्ध के लिए तैयार हो। किन्तु देवी चंद्रघंटा का व्रत करने वाला साधना मन एवं मंस्तिश्क की शांति को प्राप्त करता है।

देवी चंद्रघंटा मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।'

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चतुर्थ देवी: कुष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन महाशक्तिशाली देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को यदि आधिशक्ति कहा जाता है तो मां कुष्मांडा को आदिस्वरूपा कहा गया है। पौराणिक कथा के अनुसार जब सृष्टि में अन्धकार फैला तब इन्होंने ही ब्रह्माण्ड की रचना कर उजाला किया था। देवी के इस रूप की पूजा और व्रत करने से सुख-समृद्धि और उन्नति प्राप्त होती है।

देवी कुष्मांडा मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।'

पंचम देवी: स्कंदमाता

नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को शांति मिलती है और बुद्धि प्राप्त होती है। भगवान स्कन्द कुमार (कार्तिकेय) की माता होने के कारण ही देवी के इस रूप को मां स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।

देवी स्कंदमाता मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।'

षष्टम देवी: कात्यायनी

नव दुर्गा में छठे स्थान पर आती हैं देवी कात्यायनी। ये ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। कहते हैं कि ऋषि ने मां दुर्गा को पुत्री रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया। बड़े होने पर इसी पुत्री का भगवान कृष्ण से विवाह भी हुआ। देवी के इस रूप की पूजा और व्रत करने से अर्थ, कर्म, मोक्ष की प्राप्ति होती है।

देवी कात्यायनी मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।'

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सप्तम देवी: कालरात्रि

अमावस की रात जैसा रूप, कोई देखे तो भयभीत हो जाए, ऐसा है नवदुर्गा का सप्तम स्वरूप देवी कालरात्रि। देवी गढ़े की सवारी करती है, इनके बाल बिखरे हुए हैं और मुख पर अत्यंत करोड़ है। लेकिन इनका यह भयभीत रूप साधकों के लिए नहीं, दुश्मनों के लिए है। देवी के इस रूप की पूजा, व्रत करने से दुश्मनों से लड़ने की ताकत मिलती है।

देवी कालरात्रि मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।'

अष्टम देवी: महागौरी

महागौरी को भगवान शिव की अर्धांगिनी देवी पार्वती का ही रूप माना जाता है। देवी के इस रूप ने भी तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। मां महागौरी के नाम की पूजा-अर्चना करने से साधक को शांति, अन्न और समृधि की प्राप्ति होती है।

देवी महागौरी मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।'

नवम देवी: सिद्धिदात्री

नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी को मां सिद्धिदात्री की अराधना की जाती है। कहते हैं कि आदिशक्ति के इस रूप को संसार की सभी सिद्धियां प्राप्त हैं और जो कोई भी साधक सच्चे मन से इनकी पूजा और व्रत कर ले उसी इन सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती है।

देवी सिद्धिदात्री मंत्र: 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।'

English summary :
Navratri Special, शारदीय नवरात्रि 2018:Navaratri is the holy festival of Hindu religion. These festivals celebrates twice in a year. The first month of the Hindu calendar starts with the Chaitra month and this month comes Chaitra Navaratri. For the second time Ashwin is the month of Shardhiya Navaratri शारदीय नवरात्रि. In these two festivals, nine forms of Mother Durga are worshiped.


Web Title: Navratri Special: Nine forma of goddess durga, significance, importance, nine durga vrat katha, mantra

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