Makar Sankranti 2025: भारतीय हिंदुओं के बीच प्रचलित त्योहारमकर संक्रांति, 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर राशि पर शनि का शासन है, इसलिए यह एक ऐसा अवसर है जब पिता सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं।
मकर संक्रांति के पारंपरिक पहलू में तिल, गुड़ और खिचड़ी जैसे व्यंजन चढ़ाना शामिल है। हालांकि, कई लोग यह नहीं जानते होंगे कि किन देवताओं को खिचड़ी चढ़ानी चाहिए और इसके पीछे क्या महत्व है।
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी देवताओं को चढ़ाई जाती है तो ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे का क्या महत्व है।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी चढ़ाने का महत्व
मकर संक्रांति पर खिचड़ी चढ़ाने की प्रथा नौ ग्रहों (नवग्रहों) का आशीर्वाद प्राप्त करने और स्वास्थ्य और समृद्धि लाने के लिए मानी जाती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि खिचड़ी बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री इन खगोलीय पिंडों से निकटता से जुड़ी हुई है।
किन देवताओं को चढ़ाई जाती है खिचड़ी?
सूर्य देव:
सूर्य को सौरमंडल का केंद्र और सभी ग्रहों का स्वामी माना जाता है, वे जीवन शक्ति और स्वास्थ्य से जुड़े हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य को खिचड़ी चढ़ाने से उनका आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
शनि देव:
शनि, कर्म के स्वामी, ज्योतिषीय प्रभावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मकर संक्रांति पर, शनि देव को काली उड़द की दाल की खिचड़ी का विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है। पकवान में काले तिल डालने की भी सलाह दी जाती है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे शनि से संबंधित दोष (पीड़ा) कम होते हैं।
नवग्रहों के साथ खिचड़ी का संबंध:
चावल चंद्रमा और शुक्र का प्रतीक है, जो उनके प्रभावों को शांत करने में मदद करता है।
काली दाल (उड़द की दाल) शनि, राहु और केतु का प्रतिनिधित्व करती है। हल्दी बृहस्पति से जुड़ी है।
हरी सब्जियाँ बुध से संबंधित हैं।
पकी हुई खिचड़ी की गर्माहट मंगल और सूर्य की ऊर्जा को दर्शाती है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख की सामग्री पूरी तरह से मान्यताओं पर आधारित है, और इसे सामान्य मार्गदर्शन के रूप में लिया जाना चाहिए। व्यक्तिगत अनुभव अलग-अलग हो सकते हैं।)