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Magh Gupt Navratri: वसंत पंचमी से पहले 25 जनवरी से माघ गुप्त नवरात्रि, जानिए पूजा विधि और इसका महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 16, 2020 10:08 IST

Magh Gupt Navratri: शारदीय और चैत्र नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी कलश स्थापना की जाती है। नौ दिन तक व्रत का संकल्प लेकर प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की अराधना इस दौरान की जाती है।

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ठळक मुद्देMagh Gupt Navratri: 25 जनवरी से शुरू हो रही है माघ गुप्त नवरात्रिगुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना होती है, माघ और आषाढ महीने में पड़ती गुप्त नवरात्रि

Magh Gupt Navratri: वंसत पंचमी इस बार 29 जनवरी को है। इस दिन विद्या और संगीत की देवी माता सरस्वरी की अराधना की जाती है। खास बात ये भी है कि वसंत पंचमी से पहले यानी 25 जनवरी से माघ गुप्त नवरात्रि भी शुरू हो रही है और 4 फरवरी तक है। 

आम तौर पर हम साल में दो नवरात्रियों के बारे में जानते हैं। हालांकि, धर्मग्रंथों और हिंदू मान्यताओं में 4 नवरात्र का जिक्र है। शारदीय और चैत्र नवरात्रि के बारे में हम जानते हैं लेकिन दो अन्य नवरात्रि भी हैं जिन्हें गुप्त कहा गया है। पहला गुप्त नवरात्रि माघ महीने के शुक्ल पक्ष में जबकि दूसरा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में होता है।

Magh Gupt Navratri: माघ गुप्त नवरात्रि का भी है विशेष महत्व

साल के दो प्रमुख नवरात्रि में जिस प्रकार देवी के नौ रूपों की पूजा होती है। उसी तरह गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना होती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

गुप्त नवरात्र का तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व है। इस दौरान साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान कई लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का भी प्रयास करते हैं। माघ नवरात्रि उत्तरी भारत में अधिक प्रसिद्ध है, और आषाढ़ नवरात्रि मुख्य रूप से दक्षिणी भारत में लोकप्रिय है।

Magh Gupt Navratri: गुप्त नवरात्रि पर पूजाविधि 

शारदीय और चैत्र नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी कलश स्थापना की जाती है। नौ दिन तक व्रत का संकल्प लेकर प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की अराधना इस दौरान की जाती है। साथ ही अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत की समाप्ति होती है। तंत्र साधना करने वाले इस दौरान माता के 10 महाविद्याओं की साधना करते हैं।

गुप्त नवरात्रि के दौरान दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशी का पाठ करें। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा को करते समय इस बारे में किसी और नहीं बताना चाहिए और मन से मां दुर्गा की अराधना में तल्लीन रहना चाहिए। ऐसा करने से पूजा ज्यादा सफल होती है।

टॅग्स :नवरात्रिनवरात्री महत्वबसंत पंचमी
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