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संकष्टी चतुर्थी 2020: संतान के दिर्घायु के लिए मां रखती है संकट चौथ, जानें व्रत का समय, विधि, मूहूर्त, महत्व और कथा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 13, 2020 13:05 IST

इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख भगवान गणेश की आराधना करती हैं और उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं।

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ठळक मुद्देसंकष्टी चतुर्थी की शाम को चांद निकलने के बाद व्रत तोड़ा जाता हैमहिलाएं अपने पुत्रों की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए रखती हैं

लोहड़ी के साथ ही आज संकष्टी चतुर्थी व्रत भी है। इसे संकट चौथ भी कहा जाता है। सभी में माघ महीने के कृष्ण पक्ष की संकष्ठी चतुर्थी का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन लोग भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं।

व्रत का महत्व

संकष्टी चतुर्थी की शाम को चांद निकलने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। आज के दिन भगवान गणेश को शकलकंद का भोग लगाना और शकलकंद सेवन करने की भी मान्यता है। इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख भगवान गणेश की आराधना करती हैं और उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं।

13 जनवरी को चांद निकलने का समय 

चन्द्रोदय : 20:33:59 (दिल्ली में)चन्द्रास्त : 09:20:00

संकष्टी चतु्र्थी व्रत कथा-

एक बार मां पार्वती स्नान के लिए गईं तो उन्होंने द्वार पर भगवान गणेश को खड़ा कर दिया और कहा कोई अंदर न आ पाए। लेकिन तभी कुछ देर बाद भगवान शिव वहां पहुंच गए तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र गणेश का यह हाल देखकर मां पार्वती बहुत दु,खी हुईं और शिव जी से अपने पुत्र को जीवित करने का हठ करने लगीं।

जब मां पार्वती ने शिव से बहुत अनुरोध किया तो भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया गया। तब से उनका नाम गजमुख , गजानन हुआ। इसी दिन से भगवान गणपति को प्रथम पूज्य होने का गौरव भी हासिल हुआ और उन्हें वरदान मिला कि जो भी भक्त या देवता आपकी पूजा व व्रत करेगा उनके सारे संकटों का हरण होगा और मनोकामना पूरी होगी।

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