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पृथ्वी से दूर जा रहा है चंद्रमा, अब एक दिन में हो सकते हैं 25 घंटे

By मेघना वर्मा | Updated: June 8, 2018 15:33 IST

जियोसाइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रमा की ऊपरी सतह और अंदरुनी हिस्से के बीच में पर्याप्त मात्रा में पानी है।

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बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने भागदौड़ की जिंदगी में खुद के लिए समय नहीं मिलता। अक्सर वो ये मनाते है कि काश एक दिन में 24 से ज्यादा घंटे होते। बस अब ऐसे लोगों की मुरादे जल्द पूरा होने की कगार पर हैं। जी हां, भूगर्भशास्त्रियों का कहना है कि जल्द ही अब एक दिन में 25 घंटे होगें। कुछ खगोलीय स्थिती आने वाले दिनों में ऐसी हो जाएगी कि अब एक दिन का समय एक घंटे और बढ़ जाएगा। क्या है पूरा मामाला आइये हम बताते हैं आपको।

धीमी हो रही है चांद की चलने की गति

अरबों सालों से धीरे-धीरे करके चांद और धरती की दूरियां बढ़ती ही जा रही है और चांद भी इससे अपनी धूरी पर धीरे घूमने लगा है जिस कारण दिन लम्बे होने लगा है। आने वाले दिनों में इस दूरी की और बढ़ जाने की वजह से आने वाले दिनों में एक दिन में 25 घंटे होने की संभावना जताई जा रही है। 

अमेरिका में हुई शोध से पता चला

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कोंसिन-मेडिसन के भूगर्भवैज्ञानिक स्टीफन मेयर्स ने अपने अध्ययन के जरिए धरती के घूमने और चंद्रमा की पोजिशन के आपसी रिलेशन को बताया है। जिससे ही ये बात सामने निकलकर आई है। मेयर्स का कहना है कि धीमी गति की वजह से जैसे-जैसे चंद्रमा धरती से दूर हो रहा है, धरती की गति भी धीमी हो रही है। क्योंकि ब्रह्मांड में पृथ्वी की गति दूसरे ग्रहों से प्रभावित होती है। जो उस पर बल डालते हैं।

उनके मुताबिक लाखों सालों के दौरान पृथ्वी और चंद्रमा की गति के बारे में रिसर्च करने से पता चलता है कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच दूरी बढ़ रही है, जिसकी असर दिन के घंटों पर भी पड़ रहा है।

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पानी की तलाश अभी भी है जारी

चांद पर अभी भी पानी की तलाश जारी है। मिले आंकड़ों से ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि ज्वालामुखी संग्रहों के कारण चांद की सतह पर फैली चट्टानों के नीचे प्राकृतिक रूप से पानी हो सकता है। ये आज से ही नहीं बल्कि कई सालों से चांद पर पानी और जीवन की तलाश जारी है लेकिन इसका कोई सकारात्मक रिजल्ट अभी तक नहीं आया है।

जियोसाइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रमा की ऊपरी सतह और अंदरुनी हिस्से के बीच में पर्याप्त मात्रा में पानी है, हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि आंतरिक स्रोतों से चांद पर पानी होने का पता नहीं चलता है।

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