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Happy Pongal 2020: पोंगल मनाने के पीछे क्या कहानी और क्या होता है इस शब्द का मतलब, जानें इसके बारे में सबकुछ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 14, 2020 12:21 IST

Happy Pongal 2020: मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही पोंगल का त्योहार भी फसल और किसान से जुड़ा है। ये फसल कटाई का उत्सव है। दक्षिण भारत और विशेषकर तमिलनाडु में इसका विशेष महत्व है।

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ठळक मुद्देHappy Pongal 2020: पोंगल का त्योहर दक्षिण भारत और विशेषकर तमिलनाडु मे मनाया जाता हैपोंगल का त्योहार भी फसल और किसान से जुड़ा, चार दिन तक मनाया जाता है ये उत्सव

Pongal 2020: सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही जिस तरह उत्तर भारत में मकर संक्रांति और लोहड़ी मनाया जाता है ठीक उसी तरह दक्षिण भारत और विशेषकर तमिलनाडु में पोंगल का त्योहार मनाया जाता है। पोंगल एक दिन का नहीं बल्कि चार दिनों का त्योहार जिसे बहुत धूमधाम से तमिलनाडु में मनाया जाता है। दरअसल, पोंगल का शाब्दिक अर्थ 'उबालना' होता है। 

Happy Pongal 2020: पोंगल क्यों मनाते हैं?

मकर संक्रांति और लोहड़ी की तरह ही पोंगल का त्योहार भी फसल और किसान से जुड़ा है। ये फसल कटाई का उत्सव है और इसलिए लोग खुशियां मनाते हैं और भगवान को प्रसाद अर्पण करते हैं। यह त्योहार तमिल महीने 'तइ' की पहली तारीख से शुरू होता है। 

दरअसल, भगवान को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है उसे ही पोंगल कहते है। इसे दूध में नए चावल को मूंग दाल, गुड़ के साथ पकाया जाता है। पकाने के समय चावल के उबल कर बर्तन से ऊपर तक आने को शुभ माना जाता है। इसे समृद्धि का प्रतीक माना गया है।

Happy Pongal 2020: चार दिन उत्सव, क्या हैं इनके नाम और कैसे मनाते हैं पोंगल

इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। पुराने सामान को घर से बाहर निकालकर जलाया जाता है। साथ ही लोग अपने घरों को फूलों, आम के पत्तों आदि से समझाते हैं और रंगोली (कोलम) बनाते हैं। साथ ही परिवार के रिश्तेदारों और मित्रों से भी मिलने और एक-दूसरे को उपहार देने की परंपरा है। यह त्योहार चार दिन तक चलता है।

Happy Pongal 2020: पोंगल की तिथियां

इस बार पोंगल की शुरुआत 15 जनवरी से हो रही है। पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है।

15 जनवरी- भोगी पोंगल 16 जनवरी- थाई पोंगल 17 जनवरी- मट्टू पोंगल 18 जनवरी- कान्नुम पोंगल

पोंगल त्योहार के दौरान खेती में काम आने वाले बैलों को स्नान कराने, उनके सींगों को सजाने और उन्हें पूजने की भी परंपरा है। एक कथा के अनुसार भगवान शिव का एक बैल है जिसका नाम मट्टू है। भगवान शिव ने एक बार उसे एक भूल के कारण पृथ्वी पर भेज दिया और आदेश दिया कि वह मानव जाति के लिए अन्न पैदा करे। इसके बाद से ही धरती पर ये बैल कृषि कार्य में मदद करते आ रहे हैं।

टॅग्स :पोंगलतमिलनाडुमकर संक्रांतिलोहड़ी
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