Teachers Day: मां तो ज्ञान की पोटली है, इनसे बड़ा टीचर कोई नहीं

By जोयिता भट्टाचार्या | Updated: September 5, 2019 13:49 IST2019-09-05T13:49:44+5:302019-09-05T13:49:44+5:30

मां सिर्फ बच्चे को जन्म ही नहीं देती बल्कि एक टीचर की तरह उसे जीवन से जुड़ी हर वो चीज सिखाती है जो उसकी जिंदगी भर काम आती है। भारत में मां को भगवान का दर्जा दिया जाता है। वो 5 खास बातें जिनसे ये पता चलता है कि कैसे एक बच्चे के लिए मां होती है उसकी पहली टीचर।

Teachers Day: Mother is the Child's First Teacher of every Child | Teachers Day: मां तो ज्ञान की पोटली है, इनसे बड़ा टीचर कोई नहीं

Mother is the Child's First Teacher

Highlightsहम सभी के जीवन में मां ही हमारी पहली गुरू होती हैस्कूलों में बच्चे किताबी ज्ञान हासिल करते हैं जबकि हर मां अपने बच्चे को जीवन का व्यवहारिक ज्ञान देती हैमां भले ही दिन-भर घर में रहती हो लेकिन उनके पास हर छोटी-मोटी बातों का ज्ञान होता है

बचपन से हम सभी एक बात को सुनकर बड़े हुए हैं कि भगवान हर जगह मौजूद नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया। हम सभी के जीवन में मां ही हमारी पहली गुरू होती है जिनसे हम जिंदगी की कई छोटी-बड़ी चीजें सिखते हैं। भारत में मां को भगवान का दर्जा दिया जाता है।

मां सिर्फ बच्चे को जन्म ही नहीं देती बल्कि एक टीचर की तरह उसे जीवन से जुड़ी हर वो चीज सिखाती है जो उसकी जिंदगी भर काम आती है। और उसके बच्चे के भविष्य की नींव मजूबत बन सकें। आज इस Teacher's Day के मौके पर हम आपको बता रहे हैं वो 5 खास बातें जिनसे ये पता चलता है कि कैसे एक बच्चे के लिए मां होती है उसकी पहली टीचर।

जन्म के बाद से ही मां ही होती है जो हमें बैठना, चलना और बोलना सिखाती है
जन्म के बाद से ही मां ही होती है जो हमें बैठना, चलना और बोलना सिखाती है

जीवन की पहली की कड़ी की सीख देती मां

जन्म के बाद से ही मां ही होती है जो हमें बैठना, चलना और बोलना सिखाती है। प्यार और दुलार के साथ अपने बच्चे को व्यवहारिक ज्ञान देने वाली मां ही होती है। हर मां की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा सही रास्ते पर चलकर भविष्य में एक अच्छा मुकाम हासिल करें।

मां ही होती है जो बच्चे के जन्म से लेकर उसके समझदार होने तक चलने-फिरने, खान-पीने से लेकर, अपने से बड़े और छोटे के साथ व्यवहार करने के सही तरीके सिखाती है। स्कूलों में बच्चे किताबी ज्ञान हासिल करते हैं जबकि हर मां अपने बच्चे को जीवन का व्यवहारिक ज्ञान देती है।

मां ही है जो बिन कहे बच्चे का मन पढ़ लेती है

जन्म के बाद से लेकर बोलना सीखने तक मां ही होती है जो हमारी हर बात को बिना कहे समझ जाती है। बच्चा जन्म के बाद अपनी हर जरूरतों के लिए अपनी मां पर ही निर्भर रहता है। उस जरूरत को मां से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है।

मां भले ही दिन-भर घर में रहती हो लेकिन उनके पास हर छोटी-मोटी बातों का ज्ञान होता है
मां भले ही दिन-भर घर में रहती हो लेकिन उनके पास हर छोटी-मोटी बातों का ज्ञान होता है

ज्ञान की पोटली होती है मां

मां भले ही दिन-भर घर में रहती हो लेकिन उनके पास हर छोटी-मोटी बातों का ज्ञान होता है। बाहरी दुनिया की सीख हो या कढ़ाई-बुनाई या फिर खाना पकाने तक की तमाम जिम्मेदारी को निभाते हुए बातों-बातों में जीवन से जुड़ी कई बातें सिखाने का हुनर सिर्फ मां के पास ही होता है। बिना किसी क्लासरूम, न हाथों में कोई किताब लिए सिर्फ अपने हाव-भाव से ही वो अपने बच्चों को इतना कुछ सिखा जाती है कि वो बिना किसी प्रयास किए ही बहुत कुछ अपने आप ही सीख जाते हैं।

इन सभी वजहों के लिए ही मां को बच्चों की पहली टीचर कहा जाता है।

Web Title: Teachers Day: Mother is the Child's First Teacher of every Child

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