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कांग्रेस का मुकाबला परिवार के अंदर ही, राहुल सोचें कि प्रियंका की सभा में भीड़ ज्यादा क्यों: रविशंकर प्रसाद

By संतोष ठाकुर | Updated: March 20, 2019 10:15 IST

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भाजपा के सबसे मुखर वक्ताओं में से एक केंद्रीय कानून एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के नाम पर कई बड़े कार्य हैं। चारा घोटाले को उजागर करने से लेकर राम मंदिर मामले में सफलता हासिल करने तक। उनसे कई मसलों पर लोकमत न्यूज से बातचीत की। 

सवाल: क्या भाजपा फिर से सत्ता हासिल कर पाएगी? 

उत्तर: हमें ही नहीं, बल्कि देश को भी शक नहीं है कि सरकार फिर प्रधाानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही बनेगी। हमें इस बार पहले से अधिक सीट मिलेंगी। प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता, देश के प्रति समर्पण और ईमानदारी को लेकर जनता के बीच जो विश्वास है, वह हमारी ताकत है। 

सवाल: अगर ऐसा है, तो हर राज्य में गठबंधन की जरूरत क्यों है? 

उत्तर: यह भी हमारी प्रतिबद्धता है। यह समरसता का प्रतीक है। हम न केवल गठबंधन बनाना, बल्कि एक समान, साझा मुद्दों वाली पार्टियों को एक मंच पर लाकर साझा समझदारी से सरकार चलाना जानते हैं। यह पूर्व में वाजपेयी और अब मोदी सरकार में हमने साबित किया है। 

सवाल: गठबंधन तो विपक्ष का भी है?

उत्तर: विपक्षी दलों का गठबंधन मिलावट है। वैसे देश में कहां विपक्ष का गठबंधन है? यूपी में सपा-बसपा ने कांग्रेस को बाहर कर दिया है। बिहार में राजद और कांग्रेस में तनातनी है। प। बंगाल में वामदलों ने कांग्रेस को नकार दिया है। ओडिशा में बीजद से उनका तालमेल नहीं है। विपक्षी गठबंधन है कहां? 

सवाल: कांग्रेस कह रही है कि उसका सीधा मुकाबला भाजपा से है? 

उत्तर: भाजपा का कांग्रेस से कोई मुकाबला नहीं है। कांग्रेस कहां जीवित है? दिल्ली से लेकर दक्षिण और कच्छ से लेकर नगालैंड तक कांग्रेस सभी जगह पर आस्तित्व के लिए लड़ रही है। हमारा जहां भी मुकाबला है, क्षेत्रीय दल के साथ है। प्रधानमंत्री के कद के आगे ये दल कहीं नहीं ठहरते हैं। कांग्रेस को समझना होगा कि गठबंधन के लिए विश्वसनीयता, बड़ा दिल, साझा समझदारी की जरूरत होती है। हमने बिहार में बड़ा दिल दिखाया और 5 सीट छोड़ी तो रामविलास पासवान को राज्यसभा की एक सीट भी दी। पूर्वोत्तर में हमने स्थानीय दलों को विश्वास दिलाया कि उन्हें उनका हक मिलेगा। यूपी और महाराष्ट्र में यही साझा समझदारी दिखाई। इस वजह से भाजपा का गठबंधन अधिक प्रभावी, दूरगामी और परिपक्व साझेदार के रूप में सामने आया। 

सवाल: महाराष्ट्र में यह समझदारी क्यों नहीं दिखी? वहां शिवसेना आखिरी तक अड़ी रही?

उत्तर: महाराष्ट्र में कभी कोई दिक्कत नहीं थी। मीडिया इसे अलग रंग से लिखता-दिखाता रहा। शिवसेना और हमारे बीच वैचारिक या आंतरिक समस्या कभी नहीं रही। 

सवाल: कहा जा रहा है कि अगर सीटें कम आईं तो नितिन गडकरी पीएम पद की पहली पसंद हो सकते हैं? उत्तर: मीडिया कयास लगा सकता है। भाजपा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और रहेंगे। सीटें कम हों या ज्यादा, प्रधानमंत्री वही रहेंगे। कोई वेकैंसी नहीं है। 

सवाल: प्रियंका गांधी के लिए खूब भीड़ जुट रही है? 

उत्तर: हम शुरू से कह रहे हैं कि कांग्रेस का मुकाबला परिवार के अंदर ही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सोचना होगा कि उनकी सभाओं से अधिक भीड़ प्रियंका की सभा में जुट रही है तो क्या कारण है। 

सवाल: आपको पटना साहिब से उम्मीदवार बनाने की चर्चा है?

उत्तर: अगर मुझे आदेश मिला तो पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता की तरह में पालन करूंगा। मैंने पहले भी शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर कुछ नहीं कहा है। अब भी नहीं कहूंगा। 

सवाल: राफेल, बेरोजगारी, आंकड़ों की हेराफेरी के आरोप से पार्टी कैसे बचेगी? 

उत्तर: चुनाव का एक ही मुद्दा है, नरेंद्र मोदी। उनके सामने सभी मुद्दे शून्य हैं। विपक्ष आरोप लगाकर भागने का कार्य कर रहा है। यह उनकी हताशा का प्रतीक है।

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