मुंबई: मुंबई में हाल ही में एआईएमआईएम के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील, वारिस पाठन की अगुवाई में एक संविधान रैली निकाली गई थी। मुंबई में उनको मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को विरोध पत्र देना था। इस रैली में तिरंगा लिए हुए प्रदर्शनकारियों ने आपत्तिजनक नारे भी लगाए। सामाजिक कार्यकर्ता गणेश जोशी का मानना है कि रैली ने मंबई की गति धीमी कर दी थी। उन्होंने कहा कि यह तो खैरियत हुई कि पुलिस ने बल प्रयोग करके रैली को मुलुंड चेकपोस्ट से आगे नहीं जाने दिया। अगर वे मुंबई जाते तो हिंसा भी हो सकती थी।
रैली के आयोजकों का कहना था कि वे रामगिरी महाराज और भाजपा विधायक नितेश राणे के तथाकथित मुस्लिम विरोधी बयानों का विरोध करते हैं, लेकिन रैली के इरादे कुछ और ही दिख रहे थे। वे जानबूझकर ऐसे धार्मिक नारे लगा रहे थे, जिससे हंगामा हो सकता था। नितेश ने सांगली में विवादित बयान दिया था। 1 सितंबर को उन्होंने अहमदनगर में भी विवादित बयान दिया था।
गणेश जोशी का कहना है कि उनको ऐसे बयानों से बचना चाहिए लेकिन अकबरुद्दीन भी इस तरह का विवादित बयान दे चुके हैं। इस मामले में वे अदालत से बरी भी हो गये। अब यह मुद्दा मिला ओवैसी की पार्टी को। आरोप है कि उन्होंने इसका गलत फायदा उठाया, एक ऐसी रैली निकाली जिसमें धार्मिक उन्माद फैलाने की पूरी कोशिश की गई। रैली के बाद कई फर्जी वीडियो भी जारी किये गये।