सूर्य ग्रहण 2020: ग्रहण के द‍िन ही हुआ था द्रौपदी का चीरहरण, जानें महाभारत और सूर्य ग्रहण से जुड़े रहस्य

By गुणातीत ओझा | Published: June 19, 2020 05:20 PM2020-06-19T17:20:34+5:302020-06-20T12:00:00+5:30

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Solar Eclipse 2020: भारत में 21 जून को सूर्यग्रहण दिखेगा और देश के कुछ हिस्सों में यह वलयाकार नजर आएगा। खगोल प्रेमियों को इस दौरान ‘अग्नि-वलय’ देखने का अवसर मिलेगा। हालांकि, देश के अधिकतर हिस्सों में सूर्यग्रहण आंशिक होगा। एमपी बिड़ला तारामंडल के निदेशक देवी प्रसाद दुरई ने बताया कि राजस्थान के घड़साना के पास सुबह लगभग 10 बजकर 12 मिनट पर सूर्यग्रहण की वलयाकार गति शुरू होगी और पूर्वाह्न लगभग 11 बजकर 49 मिनट पर वलयाकार चरण शुरू होगा तथा पूर्वाह्न 11 बजकर 50 मिनट पर यह चरण समाप्त होगा। आपको बता दें कि ग्रहण काल में कई ऐतिहासिक पौराणिक घटनाएं भी हुईं हैं।

ग्रहण काल में इतिहास में कई ऐसी पौराणिक घटनाएं हुईं हैं जिनका संबंध महाभारत और भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ा हुआ है। ग्रहण काल में खेला गया चौपड़ ही पूरे महाभारत का कारण बना था। यही नहीं ग्रहण काल ने जहां अर्जुन की जान बचाई वहीं, यही ग्रहण जयद्रथ की मौत का कारण भी बना था। भी मारा गया था। ग्रहण काल का संबंध श्रीकृष्ण और राधा से भी जुड़ा हुआ है। तो आइए आज आपको ग्रहण काल में हुई उन पौराणिक घटनाओं के बारे में बताएं, जो शायद कम लोग ही जानते हैं।

महाभारत होने के पीछे भले ही कई कारण रहे हों, लेकिन एक मुख्य और शर्मनाक कारण था द्रौपदी का चीरहरण। जब ये चौपड़ खेलने के लिए दुर्योधन ने युधिष्ठिर को आमंत्रित किया और चौपड़ खेला जाने लगा तब भी सूर्य ग्रहण लगा था। ग्रहण के दौरान खेला गया ये चौपड़ पांडवों के लिए भारी पड़ गया था। हालांकि दुर्योधन अपने मामा शकुनी के पासे से खेल रहा था, जिस पासे को शिवजी का आशीर्वाद था कि उससे खेलने वाला कभी हार नहीं सकता। इस चौपड़ में युधिष्ठिर द्रौपदी को दांव पर लगा दिए थे और ये ग्रहण का ही प्रभाव था।

महाभारत युद्ध में जयद्रथ को मारने के लिए अर्जुन ने संकल्प लिया था कि सूर्यास्त के पहले तक वह जयद्रथ को मार देंगें, लेकिन कौरव जयद्रथ को हर संभव बचाते रहे। देखते-देखते शाम का वक्त आ गया, लेकिन वह सूर्यग्रहण का दिन था। सूर्य पर ग्रहण लगते ही कौरवों को लगा कि शाम हो गई और उन्होंने जयद्रथ को सामने ला दिया और जयद्रथ जैसे ही सामने आया ग्रहण हट गया और वापस से सूर्य चमक गया। तब तक अर्जुन ने अपने बाण से जयद्रथ का सिर अलग कर दिया और सिर जयद्रथ के पिता के गोद में गिर पड़ा।

अर्जुन ने कसम खाई थी की यदि वह शाम तक जयद्रथ को नहीं मार पाए तो वह अग्नि समाधि ले लेंगे। लेकिन ग्रहण के कारण हुए भ्रम से जयद्रथ बाहर आया और अर्जुन ने शाम से पहले उसकी खत्म कर दिया और इस तरह से अर्जुन की जान ग्रहण काल के चलते बच गई।

ग्रहण काल में ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बसाई नगरी द्वारिका डूबी थी और श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ने ग्रहण काल में ही इस द्वारिका नगरी को फिर से बसाया था। वहीं ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में यशोदा और बाबा नंद के साथ नदी में स्नान करने राधा भी आईं थी और यहीं पर श्रीकृष्ण से गोकुल छोड़ने के बाद दोबारा मिली थीं।