1 / 9देश में बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए भारत देश में 500 और 1000 के रुपये बंद किये गए, क्योंकि इससे मार्किट में मौजूद पुराने नोटों के बदले नए नोट आएंगे तो फेक करेंसी बनाना मुस्किल हो पाएगा।2 / 9इस बात में को शक नहीं था कि देश में ज्यादातर लोग जेब में कैश लेकर घूमते थे, लेकिन कैशलेस इकोनॉमी को बनाने का अहम मुद्दा यह था कि देश ज्यादा से ज्यादा ट्रांजैक्शन डिजिटल माध्यमों से किया जाए।3 / 9नकली नोटों के चलते हुए भी देश में नोटबंदी का फैसला लिया गया, जिससे की देश में नकली नोट न आ पाएं. नोटों का कम इस्तेमाल हो इसीलिए सरकार ने सभी को डिजिटल पेमेंट करने के जागरूक किया।4 / 9नोटबंदी करने का एक अहम फैसला रियल एस्टेट सेक्टर को लेकर भी था, आम आदमी को मकान खरीदने में दिक्कतों का सामना ना करना पड़े, इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया।5 / 9सरकार यह दावा रहा कि नोटबंदी करने से कालाधन खत्म होगा, लेकिन किसी भी अर्थव्यवस्था से कालाधन खत्म होने की उम्मीद तब तक नहीं की जा सकती जब तक सामाजिक स्तर इसका बहिष्कार करने के लिए लोगों को जागरूक ना किया जाए।6 / 9कालेधन और भ्रष्टाचार को लेकर देश में हमेशा से एक समानांतर इकोनॉमी चलती थी, अब इसमें कई तरह की बातें भी सामने आती हैं, कोयले की खदानों से लेकर सड़क किनारें फल और सब्जी बेचने वाले इस समानांतर अर्थव्यवस्था में शामिल रहते थे, लेकिन नोटबंदी से लेकर डिजिटल पेमेंट के साथ साथ समानांतर इकोनॉमी से जो मदद चाहिए थी वो मिली ही नहीं।7 / 9डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के एकमात्र मकसद यह था कि की लोग सारी पेमेंट बैंक के जरिए होगी, जिससे सभी की ट्रांजैक्शनों पर इनकम टैक्स के अधिकारियों की नजर बनी रहेगी, लेकिन नोटबंदी से उम्मीद थी की सरकारों का रेवेन्यू तेजी बढ़ेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।8 / 9जैसे की इस बात में भी कोई शक नहीं कि देश में रहने वाले ज्यादातर लोग अपनी सेविंग प्रॉपर्टी, सोना और ज्वैलरी में निवेश करते थे, जरूर पड़ने पर जिसे वो आसानी से बेच भी सकते थे, उम्मीद की जा रही थी नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट और सोना अपेक्षा के मुताबिक रिटर्न नहीं दें पाएंगे, कोई भी आम आदमी अपनी सेविंग को बैंक में रखेगा।9 / 9नोटबंदी के बाद से यह उम्मीद थी कि लोगों के द्वारा जमा किया गया पैसा और डिजिटल पेमेंट के द्वारा हुए लाभ से बैंक जो लोन देगा उसकी ब्याज दरों में कटौती होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं।