ये हैं भारत के 5 बड़े मजदूर नेता, कोई है मजदूरों का मसीहा तो कोई ट्रेड यूनियन आंदोलन का जन्मदाता, देखें तस्वीरें By संदीप दाहिमा | Published: April 29, 2020 5:26 PMOpen in App1 / 61 मई को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है. भारत में भी इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है. भारत में कई बड़े मजदूर नेता हुए जिनकी एक अपील पर कारखानों में ताला लग जाता था. इनमें से कुछ लोग संसद सदस्य भी रहे हैं.2 / 6मजदूरों के नेता दत्ता सामंत की लोकप्रियता की अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है जब इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस को अकेले 400 से ज्यादा सीटें मिली थीं तब मुंबई दक्षिण-मध्य सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सामंत ने लोकसभा चुनाव जीता था। भारत के बड़े ट्रेड यूनियन नेताओं में दत्ता सामंत का कद काफी बड़ा था। पेशे से डॉक्टर सामंत को मिलों के कामगार 'डॉक्टर साहब' कहकर बुलाते थे, उनकी एक आवाज पर कारखानों का काम तुरंत रूक जाता था।3 / 6शंकर गुहा नियोगी महाराष्ट्र के मजदूर नेता दत्ता सामंत के समकालीन थे। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और मजदूर नेता नियोगी पश्चिम बंगा लके न्यू जलपाईगुड़ी के रहने वाले थे और उनका असल नाम धीरेश था। 1970 के दशक में वह भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) में काम करने के दौरान मजदूर नेता के तौर पर पहचाने जाने लगे। बीएसपी में मजदूरों की आवाज उठाने के कारण उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया जिसके बाद वह छत्तीसगढ़ में घूम-घूमकर मजदूरों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक करते करने लगे।4 / 6कर्नाटक के मंगलुरु में जन्मे जॉर्ज फर्नांडीस सिर्फ 19 साल की उम्र में रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंच थे। आजीवन समाजवादी रहे फर्नांडीस के प्रेरणा स्त्रोत राममनोहर लोहिया थे। 1960 के दशक में फर्नांडीस ने कई मजदूर आंदोलनों और हड़तालों का नेतृत्व किया। फर्नांडीस पहली बार देशव्यापी स्तर पर चर्चा में तब आए जब उन्होंने रेल कर्मचारियों की ऐतिहासिक हड़ताल का नेतृत्व किया। वे ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष थे और उनके आह्वान पर 1974 में रेलवे के 15 लाख कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। रेलवे के इस हड़ताल के देश कई यूनियनों को साथ मिला था। रेलवे के हड़ताल को तोड़ने के लिए सेना तक बुलानी पड़ी थी। हालांकि यह हड़ताल तीन हफ्ते में खत्म हो गया।5 / 6भारतीय मजदूर संघ (1955), भारतीय किसान संघ (1979) और स्वदेशी जागरण मंच (1991) जैसे संगठनों के नींव रखने वाले दत्तोपंत ठेंगड़ी संघ प्रचारक और राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। दत्तोपंत ठेंगड़ी ने संघ के दूसरे सरसंघचालक माधवराव सदाशिव गोलवरकर के कहने पर मजदूर क्षेत्र में काम करना शुरू किया था। दत्तोपंत ठेंगड़ी मजदूरों के मुद्दे पर अपनी भी सरकार की आलोचना करने से नहीं चूकते थे।6 / 6नारायण मल्हार जोशी को भारत में 'ट्रेड यूनियन आंदोलन' के जन्मदाता कहा जाता। 20वीं सदी के शुरुआत में उन्होंने मजदूर आंदोलनों को संगठित करने का काम शुरू किया था। उन्होंने 1920 में ' अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की स्थाना की और 1929 तक उसके सचिव रहे। कांग्रेस छोड़कर उन्होंने 1929 में 'इंडियन ट्रेड यूनियन फेडरेशन (ITUF नामक एक नया संगठन बनाया था। एम एन जोशी केन्द्रीय वेतन आयोग' के एक सदस्य भी रहे। और पढ़ें Subscribe to Notifications