1 / 9मशहूर शायर जोश मलीहाबादी का जन्म 5 दिसंबर, 1898 को उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद में हुआ था। शायर-ए-इंकलाब के नाम से जाने गये मलीहाबादी अपने समय के उर्दू के सबसे प्रख्यात शायरों में से एक हैं।2 / 9जोश मलीहाबादी की ऑटोबायोग्राफी 'यादों की बारात' आज भी उर्दू की सबसे बेहतरीन किताबों में से एक मानी जाती है। इनका असल नाम शब्बीर हसन खान था।3 / 9भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी मलीहाबादी के मुशायरों के मुरीद थे। दोनों की दोस्ती के किस्से भी खूब मशहूर हैं।4 / 9 बंटवारे के बाद जोश मलीहाबादी 1956 तक भारत के नागरिक रहे। हालांकि इसके बाद वे पाकिस्तान चले गये और वहीं की नागरिकता ले ली।5 / 9जोश मलीहाबादी उर्दू के साथ-साथ अंग्रेजी, अरबी और पर्सियन भाषा के भी अच्छे जानकार थे। 6 / 9 जोश मलीहाबादी के पूर्वज मुहम्मद बुलंद खां नवाबी शासनकाल में काबुल से भारत आए थे। कुछ समय फर्रुखाबाद में रहने के बाद वे स्थाई रूप से मलीहाबाद में बस गए।7 / 9जोश मलीहाबादी और जवाहर लाल नेहरू के बीच काफी मित्रता थी। कहा जाता है कि नेहरू ही वह वजह थे जिसके कारण जोश मलीहाबाद ने बंटवारे के बाद शुरू में भारत में रहने का फैसला किया था। 8 / 9बहरहाल, पाकिस्तान जाने के बाद जोश मलीहाबाद अपने जीवन के आखिरी क्षणों तक वही रहें। उनका निधन 22 फरवरी, 1982 को इस्लामाबाद में हुआ।9 / 9 पाकिस्तान जाने के बाद जोश मलीहाबादी 1967 में भारत के दौरे पर भी लौटे और बॉम्बे (मुंबई) में एक इंटरव्यू दिया। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान में अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था।