जानें स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की क्या है खासियत, कैसे वायुसेना की ताकत में होगा इजाफा

By अनुराग आनंद | Published: January 14, 2021 09:40 AM2021-01-14T09:40:19+5:302021-01-14T09:50:36+5:30

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को बताया कि नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सीसीएस यानि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने वायुसेना के लिए 83 अतिरिक्त‌ स्वदेशी एलसीए तेजस लड़ाकू विमानों को हरी झंडी दे दी है। साथ ही उन्होंने कहा कि एचएएल के साथ हुई डील की कुल कीमत करीब 48 हजार करोड़ है। ये तेजस फाइटर जेट्स 'एलसीए मार्क 1ए' के नाम से जाने जाएंगे। ऐसे में आइए जानते हैं इसकी खासियत क्या है?

सबसे पहली इस तेजस फाइटर की खासियत यह है कि ये सभी 83 मार्क वन-ए फाटइर जेट पुराने सौदे वाले मार्क वन से ज्यादा एडवांस हैं। तेजस के नए फाइटर बीवीआर मिसाइल से लैस होंगे यानि बियोंड विजयुल रेंज मिसाइल, जो आंखों की नजरों से 40-50 किलोमीटर दूर भी टारगेट को एंगेज यानि मार गिरा सकती है।

नए तेजस फाइटर जेट को एयर टू एयर रिफ्यूलिंग की तकनीक से लैस किया गया है। यह तकनीक पहले के किसी भी तेजस फाइटर विमान में नहीं था।

एलसीए मार्क वन-ए में अगर कोई मिसाइल लॉक होती है तो पॉयलट को कॉकपिट में लगे सेंसर से तुरंत पता चल जाएगा। नए तेजस में रडार वॉर्निंग सिस्टम भी होगा यानि दुश्मन के रडार की पकड़ में आते ही पायलट को अलर्ट चला जाएगा।

नए तेजस मार्क वन-ए में खास आइसा रडार लगी होंगी जो तेजस की क्षमताओं को और अधिक बढ़ा देंगी, जिससे दुश्मन की रडार में आसानी से ना आ पाए‌। माना जा रहा है कि सीसीएस से मुहर लगने के बाद एचएएल वर्ष 2022 तक पहले एलसीए एमके वन-ए को वायुसेना को सौंप देगा।

इसी साल सभी 83 विमानों को वायुसेना को सौंपने का टारगेट है। इन 83 विमानों से वायुसेना की कम से कम छह स्कॉवड्रन बन जाएंगी। एक स्कॉवड्रन में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं।