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सुरजीत सेनगुप्ताः एशियाई खेल 1974 और 1978 में भारत का प्रतिनिधित्व, एकमात्र अंतरराष्ट्रीय गोल कुवैत के खिलाफ, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 17, 2022 5:28 PM

Surajit Sengupta-जन्म 30 अगस्त 1951 को हुगली जिले के चाकबाजार में हुआ था और उन्होंने अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत किदरपोर क्लब के साथ की।

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ठळक मुद्देमर्डेका कप में थाईलैंड के खिलाफ 24 जुलाई 1974 को किया।14 मैच में भारत का प्रतिनिधित्व किया।एकमात्र अंतरराष्ट्रीय गोल कुवैत के खिलाफ 1978 एशियाई खेलों में किया।

कोलकाताः भारत के पूर्व मिडफील्डर और पूर्वी बंगाल के दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी सुरजीत सेनगुप्ता का कोविड-19 से लंबे समय तक जूझने के बाद गुरुवार के शहर के अस्पताल में निधन हो गया। सेनगुप्ता 71 बरस के थे। 1970 के एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली राष्ट्रीय टीम का हिस्सा थे।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, "आज अनुभवी स्टार फुटबॉलर सुरजीत सेनगुप्ता को खो दिया। फुटबॉल प्रशंसकों की धड़कन और एक उत्कृष्ट राष्ट्रीय खिलाड़ी के साथ-साथ एक आदर्श सज्जन, वह हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। गहरी संवेदना।"

अस्पताल सूत्रों ने कहा, ‘‘उनकी हालत स्थिर थी लेकिन शुक्रवार से उन्हें सांस लेने में समस्या होने लगी और उनका आक्सीजन का स्तर भी गिरने लगा। सोमवार से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था।’’ कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद सेनगुप्ता को 23 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह पिछले हफ्ते से वेंटीलेटर पर थे।

उन्होंने आज दोपहर अंतिम सांस ली। उनका जन्म 30 अगस्त 1951 को हुगली जिले के चाकबाजार में हुआ था और उन्होंने अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत किदरपोर क्लब के साथ की। राइट विंगर के रूप में खेलने वाले सेनगुप्ता ने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण कुआलालंपुर में मर्डेका कप में थाईलैंड के खिलाफ 24 जुलाई 1974 को किया।

उन्होंने 14 मैच में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने एशियाई खेल 1974 और 1978 में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपना एकमात्र अंतरराष्ट्रीय गोल कुवैत के खिलाफ 1978 एशियाई खेलों में किया। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने शोक संदेश में कहा, ‘‘यह सुनकर दुख हुआ कि भारतीय फुटबॉल के इतिहास के सबसे कुशल विंगर में से एक सुरजीत दा का निधन हो गया है।

भारतीय फुटबॉल को उनका बहुमूल्य योगदान हमेशा हमारे साथ रहेगा और कभी भुलाया नहीं जाएगा। उनके जाने से भारतीय फुटबॉल को नुकसान हुआ है।’’ सेनगुप्ता ईस्ट बंगाल की उस टीम का हिस्सा थे जिसने 1970 से 1976 के बीच लगातार छह बार कलकत्ता फुटबॉल लीग का खिताब जीतने के अलावा छह बार आईएफए शील्ड और तीन बार डूरंड कप का खिताब जीता। 

 

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