Mumbai Rain: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में भूस्खलन प्रभावित इरशालवाड़ी में भारी बारिश और अंधेरे में और भूस्खलन के खतरे के कारण स्थानीय प्रशासन के परामर्श से बचाव अभियान बंद कर दिया गया है।
बचाव अभियान कल सुबह फिर से शुरू होगा। एनडीआरएफ अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आज 16 शव बरामद किए गए और 21 लोगों को बचाया गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे चल रहे बचाव अभियान और राहत कार्यों की समीक्षा करने के लिए गुरुवार से रायगढ़ जिले के खालापुर के पास भूस्खलन प्रभावित इरशालवाड़ी गांव में डेरा डाले हुए हैं।
मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की राहत देने की भी घोषणा की है। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार और साइट पर मौजूद अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में बड़े पैमाने पर भूस्खलन स्थल पर खोज और बचाव कर्मियों को इलाके के कठिन पहाड़ी इलाके के कारण बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
इरशालवाड़ी एक आदिवासी गांव है, जहां पक्की सड़क नहीं है और मुंबई-पुणे राजमार्ग पर चौक गांव निकटतम शहर है। एक अधिकारी ने कहा कि इलाके में झोपड़ियों तक जाने वाली एक छोटी सड़क बारिश के कारण फिसलन भरी हो गई है, साथ ही अर्थ-मूवर्स और उत्खनन जैसी भारी मशीनरी को वहां नहीं ले जाया जा सकता है।
अधिकारी ने बताया कि बचाव अभियान के लिए दो हेलीकॉप्टर तैयार रखे गए हैं, लेकिन मौसम साफ होने तक वे उड़ान नहीं भर सकते। मुंबई में कल लगातार बारिश हुई, पिछले 24 घंटों में शहर में करीब 100 मिमी बारिश दर्ज की गई। आईएमडी ने गुरुवार के लिए क्षेत्र में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। ठाणे के लिए गुरुवार तक रेड अलर्ट जारी किया गया है। पालघर और रायगढ़ जिले रेड अलर्ट पर हैं।
महाराष्ट्र के रायगढ़ के कुछ हिस्सों में भारी बारिश के चलते बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होने के कारण 2,200 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि जिले में कम से कम 125 घरों को नुकसान पहुंचा है। जिला प्रशासन ने एक बयान में कहा कि लगातार बारिश के परिणामस्वरूप, रायगढ़ में 28 में से 17 बांधों में क्षमता से अधिक पानी है।
भूस्खलन बुधवार रात करीब 11 बजे मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर खालापुर तहसील के इरशालवाड़ी गांव में हुआ। यह घटना इलाके में लगातार मूसलाधार बारिश के चलते हुई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे स्थिति का जायजा लेने के लिए सुबह घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य में लगे कर्मियों से बातचीत की।
कम से कम 103 ऐसे लोगों की पहचान की गई है जो वहां रह रहे थे। उनमें से कुछ धान के खेतों में काम के लिए बाहर गए थे और कुछ बच्चे आवासीय स्कूलों में थे। उन लोगों की तलाश की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार क्षेत्र में बचाव एवं राहत अभियान चलाने के लिए सभी प्रयास कर रही है।
शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह गांव भूस्खलन संभावित गांवों की सूची में नहीं था। अब हमारी प्राथमिकता मलबे में फंसे लोगों को बचाना है।’’ शिंदे ने कहा, ‘‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और राज्य सरकार प्रभावित लोगों के साथ खड़ी है। लगातार भारी बारिश हो रही है और मलबे का 20 फुट ऊंचा ढेर लग गया है।’’ उन्होंने कहा कि अधिकारी बचाव अभियान के लिए मशीनरी ले जाने में सक्षम नहीं हैं।
यह गांव मोरबे बांध से छह किमी दूर है, जो नवी मुंबई को पानी की आपूर्ति करता है। यह माथेरान और पनवेल के बीच स्थित इरशालगढ़ किले के पास स्थित है और यह किला प्रबलगढ़ का एक सहयोगी किला है। इरशालवाड़ी एक आदिवासी गांव है जहां पक्की सड़क नहीं है।
मुंबई-पुणे राजमार्ग पर चौक गांव निकटतम शहर है। 30 जुलाई 2014 को पुणे जिले की अंबेगांव तहसील के मालिन गांव में हुए भूस्खलन के बाद यह महाराष्ट्र में सबसे बड़ा भूस्खलन है। भूस्खलन की उस घटना में लगभग 50 परिवारों वाले पूरे आदिवासी गांव में तबाही मच गई थी और मरने वालों की अंतिम संख्या 153 बताई गई थी।