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Budget 2020: सोशल मीडिया कंपनी ने कहा- 'आम लोगों को बजट से रोजगार सृजन और आयकर दरें घटने की उम्मीदें'

By भाषा | Updated: January 30, 2020 19:40 IST

पंजाबी भाषा में सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों में जीएसटी दरों में कटौती, कृषि उत्पादन बढ़ाने तथा किसानों के कर्ज माफ किये जाने के मुद्दे छाये हैं। इससे जुड़े पोस्ट को 20 लाख लोगों ने देखा जबकि 80,000 बार इस पर चर्चा की गयी तथा 22,000 बार व्हाट्सएप पर साझा किया गया।

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इस सप्ताह पेश होने वाले आम बजट पर सबकी निगाहें हैं। इसको लेकर कारोबारियों से लेकर आम लोग तक अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। इसमें आयकर में कटौती, जीएसटी की दरों में कमी, अधिक-से-अधिक रोजगार सृजित करने और जरूरी वस्तुओं के दाम में कटौती जैसे विचार छाये हुए हैं।

सोशल मीडिया कंपनी शेयर चैट ने बृहस्पतिवार को एक बयान में यह जानकारी दी। उसके अनुसार महज दो दिनों में बजट से जुड़ी सामग्रियों को दो करोड़ से अधिक बार देखा गया। इस दौरान बजट को लेकर दो लाख 80 हजार बार चर्चाएं की गयीं तथा इन सामग्रियों को 80 हजार से अधिक बार व्हाट्सएप पर शेयर किया गया।

इन चर्चाओं में रोजगार सृजन, व्यक्तिगत आयकर की दरों में कटौती लोगों की प्रमुख अपेक्षाएं हैं। भारतीय भाषाओं में सोशल मीडिया मंच मुहैया कराने वाली कंपनी ने 28 जनवरी की सुबह 10 बजे से 30 जनवरी की सुबह 10 बजे तक इस संदर्भ में जुटाये गये आंकड़ों तथा हिंदी, पंजाबी, तमिल, मराठी, बंगाली और कन्नड़ भाषाओं में किये गये पोस्ट का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला है।

बयान के अनुसार हिंदी के उपयोक्ताओं की दिलचस्पी माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती, आयकर दरों में कटौती तथा रोजगार के अवसरों के सृजन में रही। कुल 60 लाख लोगों ने इससे जुड़े पोस्ट को देखा जबकि 1,00,000 बार इसकी चर्चा की गयी जबकि 20,000 ने इसे व्हाट्सएप पर शेयर किये।

वहीं पंजाबी भाषा में सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों में जीएसटी दरों में कटौती, कृषि उत्पादन बढ़ाने तथा किसानों के कर्ज माफ किये जाने के मुद्दे छाये हैं। इससे जुड़े पोस्ट को 20 लाख लोगों ने देखा जबकि 80,000 बार इस पर चर्चा की गयी तथा 22,000 बार व्हाट्सएप पर साझा किया गया।

वहीं तमिल के उपयोक्ताओं ने रोजगार सृजन के अलावा आवश्यक वस्तुओं के दाम पर नियंत्रण तथा आर्थिक नरमी से उबरने के उपायों में दिलचस्पी दिखायी। बयान के अनुसार मराठीभाषी लोगों की भागीदारी किसानों व आम लोगों को राहत, स्वास्थ्य व शिक्षा पर अधिक खर्च, आयकर की कम दरों आदि में रही। बंगाली और कन्नड़ भाषी उपयोक्ताओं को आयकर की दरें घटाने तथा रोजगार सृजन की उम्मीदें हैं।

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