'दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टॉयलेट पेपर' के नाम पर गूगल सर्च परिणामों में पाकिस्तानी झंडे की तस्वीर दिखाई दे रही है, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं। लोग इसके साथ पड़ोसी मुल्क को जमकर ट्रोल कर रहे हैं। जब पड़ोसी मुल्क की इसे लेकर काफी फजीहत हुई, तो आखिरकार गूगल के प्रवक्ता को इस पर आधिकारिक रूप से सफाई देनी पड़ गई।
गूगल ने इस मामले पर बयान जारी कर कहा कि, "यह सर्च परिणाम के स्क्रीनशॉट वास्तव में एक पुराने मीम्स से थे और गूगल पर सर्च करने पर रिजल्ट में पाकिस्तानी झंडे के आने से हमारा का कोई संबंध नहीं है।" गूगल सर्च पर यह परिणाम पुलवामा हमले के बाद आना शुरू हुआ था। बता दें कि कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को आतंकी हमले में भारत के 40 CRPF जवान शहीद हुए थे। इस हमले को जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी ने अंजाम दिया था।
इस हमले के बाद, कई ट्विटर यूजर्स ने पाकिस्तान झंडे को 'टॉयलेट पेपर' बताते हुए उसका फोटो ट्वीट करना शुरू कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान के ध्वज को गूगल ने दुनिया के 'सर्वश्रेष्ठ टॉयलेट पेपर' के रूप में रैंक करना शुरू कर दिया। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि यह सभी स्क्रीनशॉट और फोटो वास्तविक हैं। गूगल ने अपने बयान में कहा है कि कंपनी मामले की जांच कर रही हैं। गूगल प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले की जांच में सर्च रिजल्ट में पाकिस्तान के झंडे को 'बेस्ट टॉयलेट पेपर' के रूप में दिखाने में हमारा किसी भी प्रकार से हाथ नहीं है।
गूगल के प्रवक्ता ने आगे कहा, कई न्यूज वेबसाइट्स ने 2017 के इस मीम के बारे में लिखा है, लेकिन इस मीम का यूजर इंटरफेस (UI) में जांच करने पर भी ऐसा कोई डाटा प्राप्त नहीं हुआ। कई वेबसाइट्स ने इस मुद्दे पर समाचार प्रकाशित किए, जिसकी वजह से अब 'दुनिया के बेस्ट टॉयलेट पेपर' सर्च करने पर पाकिस्तान का झंडा दिखाई देता है।
पहले भी आ चुके हैं इस तरह के रिजल्ट्स: गूगल पर पहले भी कई बार सर्च करने पर गलत रिजल्ट दिखाने के आरोप लग चुके हैं। पिछले साल 2018 में सर्च इंजन में "ईडियट" शब्द टाइप करने पर परिणामों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फोटो आती थीं। इसी तरह मई 2018 में भी 'फेकू' और 'पप्पू' शब्द टाइप करने पर परिणामों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तस्वीरें दिखाई देती थीं।
पिछले साल दिसंबर में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने अमेरिकी न्यायपालिका समिति के समक्ष कांग्रेस की सुनवाई में स्पष्ट किया कि गूगल पर गलत तस्वीरों का दिखना प्रासंगिकता, ताजगी, लोकप्रियता, जैसे कई मापदंडों पर निर्भर करता है कि कैसे लोग गूगल का उपयोग कर सर्च परिणामों और रैकिंग को लोकप्रियता के आधार पर नियंत्रित कर सकते हैं।