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कौन हैं गोविंद मोहन?, मोदी सरकार ने कार्यकाल 22 अगस्त 2026 तक बढ़ाया

By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 11, 2025 19:35 IST

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को गृह सचिव गोविंद मोहन का कार्यकाल अगले वर्ष 22 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया। एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गई।

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ठळक मुद्देएक अक्टूबर 2026 तथा देश के शेष भागों में एक मार्च, 2027 होगी।अगस्त 2024 में गृह सचिव के रूप में नामित किया गया था। गृह सचिव के रूप में मोहन की सेवाओं में विस्तार को मंजूरी दे दी है।

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन का कार्यकाल 22 अगस्त, 2026 तक बढ़ा दिया है। शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक सरकारी आदेश के माध्यम से इस निर्णय को औपचारिक रूप दिया गया। गृह सचिव का कार्यकाल विस्तार ऐसे समय में किया गया है, जब देश जाति गणना के साथ बड़ी जनगणना की तैयारी कर रहा है और गृह मंत्रालय अगले वर्ष मार्च तक नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत की 16वीं जनगणना (जाति गणना के साथ) 2027 में की जाएगी, संदर्भ तिथि लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में एक अक्टूबर 2026 तथा देश के शेष भागों में एक मार्च, 2027 होगी।

गोविंद मोहन कौन हैं?

सिक्किम कैडर के 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी मोहन को अगस्त 2024 में गृह सचिव के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने पिछले साल 22 अगस्त को अजय कुमार भल्ला का कार्यकाल पूरा होने के बाद गृह सचिव के तौर पर कार्यभार संभाला था। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्य किया था। इस वर्ष की शुरुआत में खेल विभाग के सचिव के रूप में एक संक्षिप्त अवधि सहित, सरकारी सेवा में एक समृद्ध पृष्ठभूमि के साथ, मोहन अपनी भूमिका में बहुमूल्य अनुभव लाते हैं।

कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के एफआर 56 (डी) और नियम 16 ​​(1ए) के प्रावधानों के अनुसार, 30 सितंबर को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से 22 अगस्त 2026 तक या अगले आदेश तक गृह सचिव के रूप में मोहन की सेवाओं में विस्तार को मंजूरी दे दी है।

इन नियमों में ऐसे अधिकारियों की सेवाएं बढ़ाने का प्रावधान है। इस विस्तार के साथ मोहन का इस महत्वपूर्ण पद पर दो वर्ष का कार्यकाल होगा। गृह सचिव नियुक्त होने से पहले वह केंद्रीय संस्कृति सचिव के पद पर कार्यरत थे। मोहन एक अनुभवी नौकरशाह हैं और कोरोना महामारी के दौरान सरकार के प्रमुख अधिकारी भी थे।

इस दौरान उन्हें विभिन्न प्रोटोकॉल के लिए लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन की देखरेख और राज्यों के साथ सुचारू समन्वय सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि नियमों में ऐसे अधिकारियों की सेवाओं का विस्तार करने का प्रावधान है।

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