न्यायाधीश के खिलाफ पहले भी लाए गए महाभियोग प्रस्ताव, तब कांग्रेस ने किया था विरोध

By आदित्य द्विवेदी | Updated: April 21, 2018 08:01 IST2018-04-21T08:01:41+5:302018-04-21T08:01:41+5:30

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ आज महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने वाली कांग्रेस ने 25 साल पहले सत्ता में रहते हुए ऐसी ही कार्यवाही का विरोध किया था। जानें कब-कब लाया गया महाभियोग प्रस्ताव।

When Congress Opposed Impeachment motion in History | न्यायाधीश के खिलाफ पहले भी लाए गए महाभियोग प्रस्ताव, तब कांग्रेस ने किया था विरोध

न्यायाधीश के खिलाफ पहले भी लाए गए महाभियोग प्रस्ताव, तब कांग्रेस ने किया था विरोध

नई दिल्ली, 21 अप्रैलः कांग्रेस समेत सात विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया है। किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की कार्यवाही का यह पहला मौका नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि पहले तीन मौकों पर उस वक्त महाभियोग प्रस्ताव लाए गए थे जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता में थी। उस वक्त कांग्रेस ने कार्यवाही का विरोध किया था। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वो न्यायपालिका का राजनीतिकरण कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विपक्षी दलों और कांग्रेस के अंदर भी महाभियोग प्रस्ताव को लेकर मतभेद है।

कब-कब लाया गया महाभियोग प्रस्ताव?

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ आज महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने वाली कांग्रेस ने 25 साल पहले सत्ता में रहते हुए ऐसी ही कार्यवाही का विरोध किया था। मई 1993 में जब पहली बार सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति वी रामास्वामी पर महाभियोग चलाया गया तो वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कपिल सिब्बल ने ही लोकसभा में बनाई गयी विशेष बार से उनका बचाव किया था। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों द्वारा मतदान से अनुपस्थित रहने की वजह से यह प्रस्ताव गिर गया था। उस वक्त केंद्र में पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी।

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न्यायमूर्ति रामास्वामी के अलावा वर्ष 2011 में जब कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया तो भी कांग्रेस की ही सरकार थी। सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति पी डी दिनाकरण के खिलाफ भी इसी तरह की कार्यवाही में पहली नजर में पर्याप्त सामग्री मिली थी लेकिन उन्हें पद से हटाने के लिये संसद में कार्यवाही शुरू होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

विपक्षी दलों ने CJI पर लगाए ये पांच आरोप

प्रधान न्यायाधीश पर महाभियोग प्रस्ताव रखने की जानकारी देते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'हमने कदाचार के पांच आधार पर भारत के प्रधान न्यायाधीश को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव रखा है।' वे कदाचार के आरोप इस तरह हैं-

1- जमीन अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के बाद साल 2013 में जमीन सरेंडर करना। 
2- जज बीएच लोया और प्रसाद इंस्टिट्यूट मामलों में हुए फैसलों में सीजेआई की निष्पक्षता को लेकर विवाद हुए। जबकि चीफ जस्‍टिस को लेकर ऐसा नहीं होना चाहिए।
3- सीजेआई के प्रशासनिक फैसलों पर आमजन में खासी नाराजगी। सीजेआई पर न्यायिक दस्तावेज की तारीख बदलने का आरोप है जो गंभीर अपराध है। 
4- इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट चार जजों की मीडिया में आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करना। सीजेआई के ठीक बाद सबसे वरिष्ठ इन चार जजों का यह कहना कि सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
5- अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने संवैधानिक आदर्शों का उल्लंघन किया।

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इन आरोपों के बाबत वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल का कहना है कि इन पांचों आरोपों की जांच की गई है। सिब्बल ने कहा, ' हमने अपनी 3 सदस्यीय समिति से इन आरोपों की जांच कराई। जब हम इन आरोपों पर पुख्ता हुए तब हम महाभियोग के लिए आगे बढ़े। हम कभी नहीं चाहते थे कि हमें यह दिन कभी देखना पड़े। कपिल सिब्बल के अनुसार, हमने जो पांच आरोप लगाए हैं, मुझे नहीं लगता इन्हें नजरंदाज किया जाना चाहिए। सीजेआई जिस तरह से कुछ खास मुकदमों का निपटारा कर रहे हैं और उन पर सवाल उठ रहे हैं वह देश के लिए अच्छा नहीं है। उनके अपने अधिकारों के प्रयोग पर सवाल उठ रहे हैं, ऐसे आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता।

PTI Bhasha Inputs

Web Title: When Congress Opposed Impeachment motion in History

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