Wayanad landslides: हैदराबाद में इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) ने वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र की उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह तस्वीरयां जारी की हैं जिनमें व्यापक क्षति दिखाई देती है। एनआरएससी ने वायनाड जिले के चुरालामाला में 30 जुलाई को हुए भूस्खलन की पहले और बाद की तस्वीरें जारी की हैं। तस्वीरों से पता चलता है कि भूस्खलन से लगभग 86,000 वर्ग मीटर भूमि विस्थापित हो गई।
एक तस्वीर 22 मई को कार्टोसैट 3 उपग्रह द्वारा ली गई थी और आरआईएसएटी उपग्रह ने 31 जुलाई को भूस्खलन के एक दिन बाद दूसरी तस्वीर ली थी। 31 जुलाई की बहुत उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली RISAT SAR तस्वीरयां क्राउन से रन-आउट ज़ोन के अंत तक मलबे के समान विशाल प्रवाह को दिखाती हैं। भूस्खलन प्रवाह की अनुमानित लंबाई 8 किमी है।
एनआरएससी द्वारा जारी की गई तस्वीरें उसी स्थान पर पिछले भूस्खलन के सबूत भी दिखाती हैं, जिससे पता चलता है कि क्राउन ज़ोन पहले के भूस्खलन का पुनर्सक्रियन है। भूस्खलन के मुख्य स्क्रैप का आकार 86,000 वर्ग मीटर है। मलबे के प्रवाह ने इरुविनपुझा और मुंडक्कई नदियों के मार्ग को चौड़ा कर दिया, जिससे उनके किनारे टूट गए और किनारे के गांव और घर नष्ट हो गए।
इसरो ने इन तस्वीरों को समझाते हुए ग्राउंड ज़ीरो की एक विस्तृत डब्ल्यूटी बनाई है। बता दें कि बचावकर्मियों की 40 टीमों ने शुक्रवार को चौथे दिन भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में तलाशी अभियान फिर से शुरू किया।
190 फुट लंबे बेली ब्रिज के पूरा होने के कारण सुबह से चल रहे खोज और बचाव अभियान को गति मिली है, जो उत्खननकर्ताओं और एम्बुलेंस सहित भारी मशीनरी को सबसे अधिक प्रभावित मुंडक्कई और चूरलमाला गांवों तक ले जाने में सक्षम बनाएगा।
40 टीमें भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों अट्टमाला और अरनमाला (प्रथम), मुंडक्कई (दूसरे), पुंचिरीमट्टम (तीसरे), वेल्लारीमाला गांव (चौथे), जीवीएचएसएस वेल्लारीमाला (पांचवें), और नदी तट (छठे) के छह क्षेत्रों में तलाशी अभियान चलाएंगी।
इंडिया टीवी ने आधिकारिक सूत्रों के के हवाले से बताया कि मानव क्षति की सीमा तब सामने आएगी जब बचाव दल भारी मशीनरी का उपयोग करके मलबे और लकड़ी के लट्ठों से ढके घरों को साफ करेंगे। इस त्रासदी में अब तक 308 लोग मारे गए हैं और 200 से अधिक लोग लापता हैं।