लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समय-समय पर अयोध्या राम मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा कृष्ण मंदिर को हिंदू समाज की आस्था का केंद्र बताने वाले बयान देते रहे हैं. इसी क्रम में उन्होने गोरखपुर में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर को लेकर फिर एक बड़ा दावा किया. उन्होने कहा कि ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन असल में ज्ञानवापी साक्षात ‘विश्वनाथ’ ही हैं. उनके इस कथन की विपक्षी दलों ने निंदा की है. विपक्षी दलों का कहना है कि इस मामले की सुनवाई अदालत में हो रही है, ऐसे में सीएम योगी को ऐसे बयान देने से बचना चाहिए.
इस कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम योगी
फिलहाल सीएम योगी आदित्यनाथ के शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में दिए गए भाषण की वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा में है. सीएम योगी ने विश्वविद्यालय में आयोजित ‘समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप बताया.
यह दावा भी उन्होने संतों और ऋषियों की परंपरा को समाज और देश को जोड़ने वाली परंपरा बताते हुए आदि शंकर का विस्तार से उल्लेख करते हुए किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल में जन्मे आदि शंकर ने देश के चारों कोनों में धर्म अध्यात्म के लिए महत्वपूर्ण पीठों की स्थापना की. और आदि शंकर जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर काशी आए तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही.
ब्रह्म मुहूर्त में जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए निकले तब भगवान विश्वनाथ एक अछूत के वेश में उनके सामने खड़े हो गए. आदि शंकर ने जब उनसे मार्ग से हटने को कहा तब उसी रूप में भगवान विश्वनाथ ने उनसे पूछा कि आप यदि अद्वैत ज्ञान से पूर्ण हैं तो आपको सिर्फ भौतिक काया नहीं देखनी चाहिए. यदि ब्रह्म सत्य है तो मुझमें भी वही ब्रह्म है जो आपमे है.
हतप्रभ आदि शंकर ने जब अछूत बने भगवान का परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि मैं वही हूं, जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए वह (आदि शंकर) काशी आए हैं. यह कथा सुनते हुए सीएम योगी ने कहा कि ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ स्वरूप ही है. सीएम योगी के अनुसार, बाबा विश्वनाथ का जवाब सुनकर आदि शंकर उनके सामने नतमस्तक होते हैं.
साथ ही उन्हें इस बात का पश्चाताप भी होता है कि ये जो भौतिक अस्पृश्यता है यह न केवल साधना की मार्ग की सबसे बड़ी बाधा बनती है बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भी सबसे बड़ी बाधा है. अगर इस बड़ी बाधा को हमारे समाज ने समझा लिया होता तो यह देश कभी गुलाम नहीं हुआ होता.