लखनऊः उत्तर प्रदेश की विधानसभा में शुक्रवार को इतिहास रचा गया. यह इतिहास बना 19 साल पहले विधायक सलिल विश्नोई की हुई पिटाई को लेकर सदन में विशेषाधिकार हनन के मामले पर आए फैसले से. इस फैसले को सुनने के लिए यूपी विधानसभा में अदालत लगी और कठघरे में छह पुलिसकर्मी खड़े हुए.
जिन्हे विधानसभा में सर्वसम्मति से आज रात 12 बजे तक के कारावास की सजा सुनाई गई। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस फैसले का ऐलान किया और कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह फैसला एक उदाहरण बनेगा. यूपी की विधानसभा में 58 साल बाद तरह का नजारा देखने को मिला.
उल्लेखनीय है, गत गुरुवार को विधानसभा में विशेषाधिकार समिति ने भाजपा विधायक सलिल विश्नोई को पीटने वाले कानपुर के तत्कालीन सीओ (अब सेवानिवृत्त) अब्दुल समद समेत पांच अन्य पुलिसकर्मियों को विशेषाधिकार हनन का दोषी करार दिया था. इन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन से संबंधित प्रस्ताव बृहस्पतिवार को सदन में पारित हुआ था.
जिस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पुलिस महानिदेशक को सभी दोषी पुलिसकर्मियों को शुक्रवार को विधानसभा में पेश करने के निर्देश दिए था. शुक्रवार को विधानसभा को अदालत में तब्दील कर दिया गया और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने छह पुलिसकर्मियों को एक दिन की कैद (रात 12 बजे तक) का प्रस्ताव पेश किया.
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस मामले में विपक्षी दलों के विचारों को जानने के बाद अपने फैसले का ऐलान किया. महाना ने कहा कि पुलिसकर्मी आधी रात तक विधानसभा भवन के एक कमरे में कैद रहेंगे और उनके लिए भोजन और अन्य सुविधाओं जैसी सभी व्यवस्थाएं की जाएंगी. सजा पर फैसला होने के बाद मार्शल सभी पुलिसकर्मियों को सदन से लॉकअप में ले गए. इससे पहले, विधानसभा में वर्ष 1964 में ऐसी अदालत लगी थी.
इस मामले में सुनाई गई सजा :
कानपुर की जनरलगंज सीट से भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई ने 25 अक्टूबर, 2004 को विधान सभा अध्यक्ष से शिकायत की थी. उन्होंने कहा था कि 15 सितंबर, 2004 को वह पार्टी कार्यकर्ताओं-धीरज गुप्ता, विकास जायसवाल, सरदार जसविंदर सिंह, दीपक मेहरोत्रा के साथ शहर में बिजली कटौती से त्रस्त जनता की परेशानियों से संबंधित ज्ञापन डीएम को देने जा रहे थे.
तभी क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद और अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें लाठी से जमकर पीटा और भद्दी गालियां दीं. जब उन्होंने विधायक के रूप में अपना परिचय दिया तो अब्दुल समद ने कहा कि ‘मैं बताता हूं कि विधायक क्या होता है. पिटाई से विश्नोई के दाहिने पैर में फ्रैक्चर हो गया था.
इन पुलिसकर्मियों को सुनाई गई सजा:
यूपी विधानसभा ने तत्कालीन क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद (अब सेवानिवृत्त), तत्कालीन थानाध्यक्ष किदवई नगर ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उपनिरीक्षक थाना कोतवाली कानपुर नगर त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटेलाल यादव, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह को माफ़ी मांगने के चलते उनके आचरण, व्यवहार को दृष्टिगत रखते हुए उदारतापूर्वक एक दिन के कारावास की सजा सुनाई है.
यह गलत परंपरा है:
विधानसभा में पुलिसकर्मियों को सजा सुनाए जाने की इस कार्रवाई को नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने गलत परंपरा बताया है. जब यह सजा सुनाई गई तब सपा के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे. हालांकि इस मामले में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने जब आरोपियों के कारावास का प्रस्ताव सदन के सामने रखा तो विधानसभा अध्यक्ष ने उस पर वोटिंग कराई. सपा के अलावा सदन में मौजूद विधायकों ने सुरेश खन्ना के प्रस्ताव का समर्थन किया. तो विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने आरोपियों को एक दिन के कारावास की सजा सुना दी।