नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘आईएनएस विक्रांत’ पर सशस्त्र बलों के जवानों के साथ दिवाली मनायी। प्रधानमंत्री मोदी ने आईएनएस विक्रांत पर सशस्त्र बलों के जवानों से कहा कि मेरी यह दिवाली खास है क्योंकि यह आपके साथ मनायी। मुझे परिवार के सदस्यों के साथ दिवाली मनाने की आदत है, आप मेरा परिवार हैं और मैं आपके बीच हूं। आज का ये दिन अद्भुत है, ये क्षण यादगार है। ये दृश्य अद्भुत हैं। आज मेरे एक ओर अथाह समुंदर है और दूसरी ओर मां भारती के वीर सिपाहियों के अथाह सामर्थ्य है। आज मेरे एक ओर अनंत क्षितिज है, अनंत आकाश है। वहीं, दूसरी ओर अनंत शक्तियों को समेटे ये विशाल, विराट INS विक्रांत है। ये बड़े बड़े शिप, हवा से भी तेज गति से चलने वाले हवाई जहाज, ये पनडुब्बियां, ये अपनी जगह पर हैं। लेकिन, जो जज्बा आपमें हैं, वो उसको भी जानदार बना देता है।
ये शिप भले ही लोहे के हों, लेकिन जब आप उसपर सवार होते हैं, तो वो जांबाज, जीवित सैन्य बन जाता है। मैं कल से आपके बीच हूं। एक-एक पल मैंने कुछ न कुछ सीखा है, कुछ न कुछ जाना है। जब दिल्ली से निकला था, तो मन करता था कि मैं भी इस पल को जी लूं। लेकिन, साथियों आप लोगों का परिश्रम, आप लोगों की तपस्या, आप लोगों की साधना, लोगों का समर्पण इतनी ऊंचाई पर है कि मैं उसे जी नहीं पाया।
लेकिन, मैं उसे जान जरूर पाया। आप सभी को भी दीपावली की शुभकामनाएं और INS विक्रांत की इस वीर भूमि से भी देश के कोटि-कोटि देशवासियों को भी दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं। खास तौर पर आपके परिजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। दीपावली के पर्व में हर किसी को अपने परिवार के बीच दिवाली मनाने का मन करता है।
मुझे भी अपने परिवारजनों के बीच दिवाली मनाने की आदत पड़ गई है। इसलिए मैं आप सब परिजनों के बीच दिवाली मनाने चला आता हूं। विक्रांत -विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
अभी कुछ महीने पहले ही हमने देखा है कि विक्रांत ने अपने नाम से ही पूरे पाकिस्तान की नींद उड़ा दी थी। जिसका नाम ही दुश्मन के साहस का अंत कर दे, वो है INS विक्रांत। भारतीय नौसेना द्वारा पैदा किए गए भय ने। वायुसेना द्वारा दिखाए गए अद्भुत कौशल ने, भारतीय सेना की जाबांजी ने। तीनों सेनाओं के जबरदस्त समन्वय ने Operation Sindoor में पाकिस्तान को जल्दी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
पिछले 1 दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 30 गुना से अधिक बढ़ गया है और इस सफलता के पीछे बहुत बड़ी भूमिका डिफेंस स्टार्टअप की है, स्वदेशी डिफेंस इकाइयों की है। 2014 से पहले देश के करीब 125 जिले माओवादी हिंसा की चपेट में थे। पिछले 10 साल की मेहनत के कारण ये संख्या लगातार घटती गई और आज मात्र 11 रह गई है।
11 में भी जहां उनका प्रभाव नजर आ रहा है, वो संख्या मात्र 3 जिले बची है। 100 से ज्यादा जिले माओवादी आतंक से आजाद होकर पहली बार खुली हवा में सांस ले रहे हैं, शानदार दिवाली इस बार मना रहे हैं।सुरक्षा बलों के पराक्रम और साहस के कारण ही बीते वर्षों में देश ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ये उपलब्धि है -माओवादी आतंक का खात्मा ! नक्सली-माओवादी आतंक से मुक्ति के कगार पर है।