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World Highest Chenab Rail Bridge: 359 मीटर की ऊंचाई, एफिल टावर से 35 मीटर अधिक ऊंचा, 1400 करोड़ की लागत, जानें और खासियत, देखें वीडियो

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 20, 2024 16:54 IST

World Highest Chenab Rail Bridge: पुल को जोड़ने के लिए विश्व स्तरीय वेल्डिंग का इस्तेमाल किया गया है। पूरी पुल लगभग 18 कंक्रीट से बने खंभों पर टिकी है।

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ठळक मुद्देWorld Highest Chenab Rail Bridge: पुल को धनुषाकार में बनाया गया है।World Highest Chenab Rail Bridge: निर्माण में कुल करीब रु 1400 करोड़ की लागत आयी है।World Highest Chenab Rail Bridge: 30000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है।

World Highest Chenab Rail Bridge: चिनाब नदी पर बना एफिल टावर से ऊंचा रेलवे पुल बहुत ही खास मायने रखता है। चिनाब नदी के ऊपर 359 मीटर (लगभग 109 फीट) की ऊंचाई पर चिनाब रेल पुल को बनाया गया है। यह रेल पुल पेरिस के एफिल टावर से भी लगभग 35 मीटर अधिक ऊंचा है। इस पुल की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी 5 गुना अधिक ऊंचा है। इस पुल का निर्माण साल 2004 में शुरू हुआ था। यानी पुल को बनने में पूरे 2 दशक का समय लग गया। पुल का निर्माण रेल मंत्रालय के एक संगठन कोंकण रेलवे कार्पाेरेशन ने किया है। बताया जाता है कि इस पुल के निर्माण में कुल करीब रु 1400 करोड़ की लागत आयी है। चिनाब पुल को बनाने में लगभग 30,000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इस पुल को धनुषाकार में बनाया गया है।

पुल का डिजाइन और इसे इतनी मजबूती से बनाया गया है कि अगले कम से कम 120 सालों तक यह पुल पूरी तरह से सही-सलामत रहने वाली है। पुल को जोड़ने के लिए विश्व स्तरीय वेल्डिंग का इस्तेमाल किया गया है। पूरी पुल लगभग 18 कंक्रीट से बने खंभों पर टिकी है। यह पुल जम्मू संभाग में जिस स्थान पर बना है वह भूकंप जोन चार में आता है, लेकिन इसे भूकंप जोन पांच के लिए डिजाइन किया गया है।

इसका मतलब है कि रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप भी यह पुल झेल सकता है। 260 किमी की रफ्तार से आने वाले तूफान में भी यह पुल डटकर खड़ा रहेगा। कश्मीर के मौसम को ध्यान में रखते हुए ही इस पुल को इतना मजबूत बनाया गया है कि यह -10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान आसानी से झेल सकें।

इसकी एक अन्य खासित इसको धनुषाकार में बनाया जाना भी है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा धनुषाकार रेल पुल है। धनुषाकार पुल के हर किनारे का आकार किसी फुटबाल मैदान के एक-चौथाई आकार का है। इसके प्रति एक सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि यह सिंगल ट्रैक क्यों है? यह सच है कि यह एक महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग चमत्कार है, जिसमें मुख्य रूप से कई तकनीकी और व्यावहारिक कारणों से सिंगल ट्रैक है। इसके कई कारण हैं। पहला, संरचनात्मक स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुल का डिजााइन सिंगल ट्रैक के लिए अनुकूलित है।

सिंगल ट्रैक एक हल्का, अधिक लचीला ढांचा प्रदान करता है जो गुजरने वाली ट्रेनों के गतिशील भार और हवा और भूकंपीय गतिविधि जैसे पर्यावरणीय तनावों को बेहतर ढंग से संभाल सकता है। यही नहीं दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के रूप में, चिनाब पुल पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है। यात्रियों के अनुभव को बढ़ाने के लिए, पुल को इतना चौड़ा बनाया गया है कि यात्री दोनों तरफ खड़े होकर लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकें और इसका उपयोग रखरखाव के उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा पुल के दोनों ओर सुरंग में सिंगल ट्रैक हैं।

सुरंग के अंदर डबल ट्रैक बिछाने से आसपास के पहाड़ों के अस्थिर होने का खतरा था। रेलवे के बकौल, रेलवे लाइन पर मौजूदा और अनुमानित ट्रैफिक डबल ट्रैक की आवश्यकता को उचित नहीं ठहराता है। सिंगल ट्रैक अपेक्षित ट्रेन ट्रैफिक को संभालने के लिए पर्याप्त है।

खासकर क्षेत्र में विकास के वर्तमान चरण को देखते हुए। रेलवे अधिकरारी कहते थे कि सिंगल ट्रैक रखरखाव और परिचालन प्रबंधन की जटिलता को कम करता है। यह पुल की निगरानी और रखरखाव को सरल बनाता है, जिससे दीर्घकालिक विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। कुल मिलाकर, चिनाब पुल का सिंगल ट्रैक डिजाइन एक संतुलित दृष्टिकोण है जो परियोजना की इंजीनियरिंग, आर्थिक और परिचालन आवश्यकताओं के साथ संरेखित है।

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