नई दिल्लीः केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए यह भी कहा कि इसके माध्यम से सरकार और वक्फ बोर्ड मस्जिद समेत किसी धार्मिक संस्था के किसी धार्मिक कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों के दावों को खारिज करते हुए कहा कि 1995 में जब कई संशोधनों के साथ व्यापक कानून बनाया गया था, तब किसी ने नहीं कहा था कि यह असंवैधानिक और गैरकानूनी है। संसद देश के वक्फ बोर्ड ढांचे में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पर चर्चा कर रही है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा बुधवार (2 अप्रैल) को पेश किया गया यह विधेयक सदन के अंदर और बाहर दोनों जगह बहस का एक गर्म विषय है। भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा की जा रही है, जिसने इस संस्था के बारे में जिज्ञासा पैदा कर दी है, जिस पर पहले मुस्लिम हलकों के बाहर ज्यादा चर्चा नहीं होती थी।
वक्फ के तहत ली गई ऐसी संपत्ति में नकदी, जमीन, इमारतें आदि शामिल
इस्लामी कानून में वक्फ वह संपत्ति है, जिसे ईश्वर का माना जाता है। इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है हिरासत, लेकिन इसका मतलब है कुछ संपत्तियों का स्वामित्व लेना और उन्हें धार्मिक उद्देश्यों या दान के लिए इस्तेमाल करना। वक्फ के तहत ली गई ऐसी संपत्ति में नकदी, जमीन, इमारतें आदि शामिल हो सकती हैं।
वक्फ एक अरबी शब्द है। वक्फ का इतिहास कुछ हदीसों से जुड़ा हुआ मिलता है और आज कल जिस अर्थ में वक्फ का प्रयोग किया जाता है, इसका अर्थ है अल्लाह के नाम पर संपत्ति का दान... पवित्र धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का दान। वक्फ का समकालीन अर्थ, इस्लाम के दूसरे खलीफा उमर के समय स्तित्व में आया।
एक प्रकार से आज की भाषा में व्याख्या करें तो वक्फ एक प्रकार का charitable enrollment है। जहां एक व्यक्ति संपत्ति, भूमि धार्मिक और सामाजिक भलाई के लिए दान करता है, बिना उसको वापिस लेने के उद्देश्य से। इसमें जो दान देता है उसका बहुत महत्व है। दान उस चीज का ही किया जा सकता है जो हमारा है, सरकारी संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता, किसी और की संपत्ति का दान मैं नहीं कर सकता।
वक्फ के अंतर्गत आने वाली संपत्तियां स्थायी रूप से धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित होती हैं। इन संपत्तियों से होने वाली आय का उपयोग मस्जिदों, सेमिनारों, अस्पतालों या धर्मार्थ संस्थानों के निर्माण और रखरखाव के लिए किया जाना चाहिए। इसका उपयोग मानवीय उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है।
अरबी शब्द 'वक्फ' का शाब्दिक अर्थ है रोकना, पकड़ना या बांधना
अरबी शब्द 'वक्फ' का शाब्दिक अर्थ है रोकना, पकड़ना या बांधना। इसलिए संपत्ति को हमेशा के लिए ईश्वर (अल्लाह) से बंधा हुआ माना जाता है और इसलिए यह अविभाज्य है। लोग धार्मिक या सामुदायिक उद्देश्यों के लिए अपनी संपत्ति या संपदा वक्फ को समर्पित कर सकते हैं। वक्फ 'सदका जारिया' का हिस्सा है, जो निरंतर या शाश्वत दान की इस्लामी अवधारणा है।
वक्फ के तीन मुख्य प्रकार
वक्फ के लाभ वक्फ की मृत्यु के बाद भी जारी रहते हैं। वक्फ के तीन मुख्य प्रकार हैं। 'खैरी वक्फ' स्कूल, मस्जिद और अस्पताल जैसी संपत्तियां हैं, जिनका उपयोग आम जनता के लाभ के लिए किया जाता है। 'अल-औलाद वक्फ' से तात्पर्य किसी व्यक्ति के वंशजों को दी गई संपत्ति से है, वंशजों के मरने पर सार्वजनिक लाभ का प्रावधान है। तीसरा प्रकार 'मुस्यतरक वक्फ' खैरी और अल-औलाद वक्फ का मिश्रण है।
इस्लामी कानून या 'शरिया' के अनुसार कई देशों ने विशिष्ट प्रशासनिक संरचनाओं के तहत वक्फ का आयोजन किया है। वक्फ बोर्ड और इसी तरह की संस्थाएं मुस्लिम समुदायों में धार्मिक, शैक्षणिक और धर्मार्थ गतिविधियों को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मस्जिदों, स्कूलों, कॉलेजों, धार्मिक सेमिनारों या अन्य शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण और रखरखाव के लिए किया जाता है।
वक्फ बोर्ड का कानून किसी भी मौजूदा कानून के ऊपर रहेगा
2013 में पहली बार वक्फ कानून में यह बदलाव किया गया कि इस देश में किसी भी धर्म का व्यक्ति वक्फ बना सकता है। उन्होंने कहा कि इनके अलावा ऐसे प्रावधान किए गए कि शिया वक्फ में शिया ही रहेंगे, सुन्नी वक्फ में सुन्नी ही रहेंगे तथा बाहर से कोई और नहीं आ सकता। एक धारा में तो यह तक लिखा गया कि वक्फ बोर्ड का कानून किसी भी मौजूदा कानून के ऊपर रहेगा।
इस देश में ऐसा कानून कैसे मंजूर किया जा सकता है। दुनिया में सबसे अधिक वक्फ संपत्ति भारत में है और इतनी अकूत जायदाद होने के बाद भी इतने सालों तक गरीब मुसलमानों के उत्थान के लिए, उनकी शिक्षा के लिए काम क्यों नहीं हुआ? 2006 में 4.9 लाख वक्फ संपत्ति देश में थीं और इनसे कुल आय मात्र 163 करोड़ रुपये की हुई, वहीं 2013 में बदलाव करने के बाद भी आय महज तीन करोड़ रुपये बढ़ी।