नई दिल्ली, 10 सितंबरःएससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर देशभर में सियासत गर्म है। सरकार के प्रति सवर्णों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। एक्ट के विरोध में 6 सितंबर को भारत बंद का आवाहन भी किया गया था जिसका मिला-जुला असर देखने को मिला। इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान जाता ना देख उत्तर प्रदेश के कुछ गांव के युवाओं ने एक नया तरीका खोज निकाला है। बलिया जिले के सोनबरसा गांव जाने वाली सड़क पर एक बैनर लटका दिख जाएगा। इस पर लिखा है कि यह गांव सवर्णों का है और एससी एसटी एक्ट का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों के नेता वोट मांग कर उन्हें शर्मिंदा ना करें।
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक गांव के युवाओं का कहना है कि सत्ता में पहुंचते ही जनप्रतिनिधियों के विचार बदल जाते हैं। उनका कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट के फैसले का इंतजार और एससीएसटी के कोर्ट का फैसला बदल दिया जाता है। उनका कहना है कि इस एक्ट में संशोधन के जरिए ब्लैकमेल करने का औजार उपलब्ध किया गया है। युवाओं ने आगामी चुनाव में नोटा प्रयोग करने के लिए प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया है।
जिले के एक अन्य गांव में भी ऐसा ही पोस्टर लगाया गया है। पोस्टर के एक तरफ लिखा है एससीएसटी एक्ट का विरोध और दूसरी तरफ लिखा है आरक्षण मुक्त भारत। पोस्टर में नीचे संदेश लिखा गया है कि इस गांव में सभी राजनीतिक पार्टियों का प्रवेश वर्जित है। यदि कोई अप्रिय घटना होगी तो इसके जिम्मेदार वो स्वयं होंगे। निवेदन में समस्त ग्रामवासी लिखा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिन गांवों में ये पोस्टर लगाए गए हैं वहां कई दलित भी रहते हैं। हालांकि इन बैनरों पर किसी तरह की आपत्ति की सूचना नहीं मिली है।