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#VijayDiwas: 1971 युद्ध भारत ने जोश में नहीं होश में जीता था

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: December 16, 2017 10:25 IST

कुल 13 दिन तक चले युद्ध के बाद आखिरकार भारत के जांबाज सैनिकों के आगे पाकिस्तानियों को धूल चाटनी पड़ी और उन्होंने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा।

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आज 16 दिसंबर है, वह दिन जब 1971 में हमारे देश के जांबाज सैनिकों को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारी जीत मिली थी। इस विजय के बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे और विश्व पटल पर बांग्लादेश नामक नए राष्ट्र का उदय हुआ था। ये दिन हर भारतीय के बेहद अहम है। ये युद्ध भारत ने जोश में नहीं होश में जीता था। कुल 13 दिन तक चले युद्ध के बाद आखिरकार भारत के जांबाज सैनिकों के आगे पाकिस्तानियों को धूल चाटनी पड़ी और उन्होंने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण का प्रस्ताव रखा। भारत ने अश्वासन दिया कि उन्हें सुरक्षित पूर्वी पाकिस्तान से उनके देश पाकिस्तान भेजा जाएगा। इस पूरे युद्ध में भारत की तत्काली पीएम इंदिरा गांधी ने सेना के प्रति अपनी अहमता पेश की थी। 

क्या था सरकार का रूप

इस पूरे युद्ध में भारत ने अपने कई बेटों को खोया था। उस समय की पीएम इंदिरा गांधी ने उस पूरे युद्ध में एक अहमता पेश की थी।3 दिसंबर, 1971 की मध्यरात्रि को देश के नाम संदेश में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने सूचना दी  गई थी। शाम करीब 5.30 पर पाक वायुसेना ने भारत के अमृतसर, पठानकोट, श्रीनगर, अवन्तिपुर, उत्तरलाई, जोधपुर, अंबाला और आगरा के सैन्य ठिकानों पर बमवर्षा की है। जिसके बाद भारत ने अपना जबाव शुरू किया था। कहते हैं इस बात की जानकारी खुद इंदिरा गांधी ने सभी को दी थी।

देशवासियों की इस युद्ध के संदेश में उन्होंने ये भी कहा था कि ये लड़ाई केवल अपने बचाव के लिए नहीं बल्कि लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए है। याद रहे कि भारत सरकार बांग्लादेश, जो कि तब तक पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था। ऐसे में पाक सेना द्वारा किए जा रहे कत्लेआम के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बना रहा था। इस ही का नतीजा ये युद्ध भी था।

अमेरिका के आगे नहीं झुकी थी सरकार

उस युद्ध में अमेरिका का रूख वो नहीं था जो है। वह अपने बागी रूप में सामने आया था। कहते हैं कि  3 दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच भारत ने सुरक्षा समिति के तीन और आम सभा के एक पारित प्रस्ताव को अनदेखा किया था। कहीं ना कहीं अमेरिका उस समय पाक के पक्ष में खड़ा था जिस पर इंदिरा गांधी ने अमेरिका के आगे ना झुककर जमकर खरी खोटी सुनाईं थी। इंदिरा ने अमेरिका के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को एक खत लिखकर पूछा था कि भारत को क्यों युद्ध विराम के लिए कहा जा रहा है अगर हम ऐसा करते भी हैं तो क्या पाक अपनी हरकतों से बाज आएगी और जब बांग्लादेश में पाक कत्लेआम कर रहा था तब क्या अमेरिका ने इसकी सुध ली थी।  इंदिरा ने इसके बाद एक और भाषण में कहा था कि  भारत अब 'सुपर पॉवर' कहलाने वाले देशों की मनमानी नहीं सहेगा। इस मुश्किल घड़ी में भारत का सांप्रदायिक सौहार्द्र दुश्मन न बिगाड़ सके इसका भी खयाल रखा गया था। इंदिरा बार-बार इस पर जोर देती रहीं।

16 दिंसबर को फतेह की हासिल

16 दिसंबर, 1971, वो दिन जब सुबह भारत ने फतेह हासिल की। सुबह 10.40 मिनट पर जब भारतीय सेना ढाका के बाहरी इलाके पर पहुंची तो पाकिस्तानी सेना की 36वीं बटालियन के मेजर जनरल जमशेद ने बिना लड़े ही आत्मसमर्पण कर दिया था। 

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