पटना: जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख ललन सिंह ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरते हुए रुपये की हालत के मौजूदा केंद्र सरकार से स्पष्टिकरण मांगा है। ललन सिंह ने रुपये की खराब होते हालत पर देश की वित्त मंत्री से पूछा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सत्ता में नहीं थे तो वह तत्कालीन यूपीए सरकार को रुपये की गिरती हालत के लिए जिम्मेदार बताते थे।
उन्होंने कहा कि अब जब रुपये की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है तो आखिर कौन जिम्मेदार है। वित्तमंत्री इस खराब हालत के लिए जनता के सामने सरकार का मत रखें कि आखिर कौन है रुपये की इस बेहाली का जिम्मेदार।
ललन सिंह ने ट्विटर पर अपनी बात को कहने कहने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो वीडियो के शेयर करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से पूछा है, "माननीया वित्तमंत्री जी, "डॉलर के मुक़ाबले रुपया लगातार गिरता ही जा रहा है। कृपया आदरणीय प्रधानमंत्री जी की पिछली प्रतिक्रिया तो सुन लिजिए और वर्तमान में उनकी क्या प्रतिक्रिया है यह देश की जनता जानने को उत्सुक है। कृपया प्रधानमंत्री जी देश की जनता को जवाब दें।"
ललन सिंह ने यूपीए शासनकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिये गये जिन दो भाषणों को अपने ट्वीट में शामिल किया। उसमें प्रधानमंत्री मोदी तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार को रुपये की दुर्दशा के लिए लताड़ लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण में मनमोहन सरकार से सवाल करते हुए पूछ रहे हैं कि आखिर बांग्लादेश का रुपया स्थिर है, पाकिस्तान के रुपये के साथ कोई परेशानी नहीं है। श्रीलंका, नेपाल और भूटान तक के रुपयों की स्थिति मजबूत बनी हुई है।
पीएम मोदी अपने वीडियो में पूछ रहे हैं कि आखिर क्या कारण है कि भारत के रुपये की स्थिति खराब है। मनमोहन सरकार को इसके लिए दोषी ठहराते हुए पीएम मोदी अपने भाषण में कहते हैं कि आपकी भ्रष्ट नीतियों के कारण भारत की वैश्विक साख को चोट पहुंची है और उस कारण डॉलर के मुकाबले हमारा रुपया नीचे आ गया है।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुराना वीडियो जदयू प्रमुख ने अपने ट्विटर से शेयर करते हुए उनके शासनकाल पर भारी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। रुपया के गिरने से मोदी सरकार के सामने भारी चुनौती आ रही है। व्यापार के कई क्षेत्रों में इसका बड़ा व्यापक असर देखने को मिल रहा है। तेल की कीमतों में आ रहे इजाफे से रोजमर्रा के सामनों की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपये में आ रही गिरावट के कारण इलेक्ट्रिक सामान और मशीनरी समेत कई जरूरी दवाओं के आयात में भारत को भारी परेशानी हो रही है।