नई दिल्ली, 24 मार्चः दिल्ली के रामलीला मैदान में सात साल बाद अन्ना हजारे फिर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। पिछली बार लोकपाल के मुद्दे पर सरकार से आश्वासन लेकर लौटे अन्ना हजारे इस बार आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं। पिछले पांच सालों में उन्होंने केंद्र सरकार को 43 पत्र लिखे लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हुआ। इसबार उन्होंने ठोस कार्यवाही के बाद ही अनशन तोड़ने की ठानी है। अन्ना हजारे ने लोकमत न्यूज के योगेश सोमकुँवर और वकार अहमद से कई मुद्दों पर विस्तार से बात की। पढ़िए इस विशेष साक्षात्कार के कुछ खास अंश...
सवाल: आपके पिछले आंदोलन से जुड़े व्यक्तियों में आज कोई केंद्र सरकार में है, कोई राज्यपाल और कोई दिल्ली की सत्ता संभाल रहा है लेकिन लोकपाल अब तक नहीं बन पाया?
अन्ना हजारे: सरकार में इच्छाशक्ति की कमी है। सत्ता में आने से पहले आश्वासन दिया था कि सत्ता में आने के बाद लोकपाल और लोकायुक्त बनाएंगे। लेकिन सत्ता में आने के बाद धारा 44 लाए और लोकपाल कानून को कमजोर कर दिया। इस कमजोर करने वाले कानून को तीन दिन बना दिया। भ्रष्टाचार को रोकने वाले कानून के लिए पांच साल हो गए।
सवालः आपने मोदी सरकार को 40 से ज्यादा चिट्ठियां लिखी, क्या आपको लगता है कोई कार्रवाई करेगी?
अन्ना हजारेः हमारा कर्तव्य हम कर रहे हैं, उनका कर्तव्य उन्हें करना है। 43 पत्र लिखे लेकिन मैं रुका नहीं। समाज और देश के भले के लिए आगे भी प्रयास करता रहूंगा।
सवालः आपने पिछली बार आंदोलन किया तो सरकार चली गई थी, क्या इसबार भी यही चाहते हैं?
अन्ना हजारेः हमारी इच्छा ये नहीं है कि कोई सरकार चली जाए। समाज और देश की भलाई के लिए हम आंदोलन करते हैं। अब ये उनकी लीला है कि अगर बात नहीं मानते तो सरकार चली जाए। कोई सरकार, पार्टी या व्यक्ति को गिराना हमारा उद्देश्य नहीं होता।
सवालः आपके आंदोलन को देशभर से समर्थन मिल रहा है। लेकिन क्या इसबार आपको उत्साह कोई कमी लग रही है?
अन्ना हजारेः बाहर गाड़ियां नहीं आने दे रहे। पंजाब और हरियाणा की बसें रोक दिया। पानी के गुब्बारे मारने वाली मशीन रखा है। पंजाब, कर्नाटक, राजस्थान, यूपी हर जगह आंदोलन चल रहा है।
सवालः आप सरकार से क्या चाहते हैं?
अन्ना हजारेः मैंने जो 43 पत्र लिखे उसमें क्या-क्या होना चाहिए लिखा है। उसमें से क्या क्या कर सकते हैं बताइए। कृषि राज्य मंत्री मिलने भी आए थे।