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उपराष्ट्रपति नायडू ने आधुनिक नवाचार को अपनाने के साथ परंपरा के पालन पर दिया जोर

By भाषा | Updated: November 7, 2021 21:50 IST

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पटना/राजगीर/मोतिहारी, सात नवंबर उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को आर्थिक क्षेत्र के आधुनिक नवाचार को अपनाने के साथ प्राचीन हिंदू और बौद्ध परंपराओं के प्रति सचेत रहने का आह्वान किया, जिसके केंद्र में ‘‘केवल आराम नहीं बल्कि खुशी’’ पर जोर है।

बिहार के दौरे पर आए नायडू ने नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय द्वारा राजगीर में आयोजित एक संगोष्ठी में अपने विचार साझा किए। उपराष्ट्रपति ने मोतिहारी में राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह को भी संबोधित किया।

राजगीर में ‘कोविड के बाद विश्व व्यवस्था के निर्माण में धर्म धम्म परंपराओं की भूमिका’ विषय पर चर्चा में नायडू ने हिंदू और बौद्ध परंपराओं द्वारा ‘‘बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और संस्कृति’ पर जोर दिया। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि प्राचीन भारतीय सभ्यता ‘‘आक्रामकता और अतिक्रमण’’ के विपरीत शांति और कल्याण के लिए थी और जोर ‘‘यह सुनिश्चित करने पर था कि लोग खुश रहे, जो कि आराम प्राप्त करने से कुछ बड़ी चीज है।’’

नायडू ने कहा, ‘‘हमें एक ऐसी दुनिया की जरूरत है जहां प्रतिस्पर्धा करुणा का मार्ग प्रशस्त करे, धन स्वास्थ्य के लिए मार्ग प्रशस्त करे, उपभोक्तावाद आध्यात्मिकता और सर्वोच्चता का मार्ग प्रशस्त करे और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का रास्ता बने।’’

राजगीर में समारोह में राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राम माधव शामिल थे, जिनका ‘इंडिया फाउंडेशन’ तीन दिवसीय सम्मेलन के सह-आयोजकों में से एक है।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उपराष्ट्रपति नायडू के साथ मोतिहारी गए, जहां समस्तीपुर जिले के पूसा स्थित प्रसिद्ध कृषि विश्वविद्यालय का विस्तारित परिसर स्थित है। विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा दिए जाने के बाद से दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के अलावा, नायडू ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर एक कॉलेज का उद्घाटन किया, जहां बागवानी और वानिकी में पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में नायडू ने छात्रों से ‘‘जुनून के लिए काम करने का आह्वान किया, न कि फैशन या धारणा के लिए।’’ उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि विश्वविद्यालय अपने आसपास सहकारी समितियों की स्थापना में सक्रियता से रुचि लें, जिससे इस क्षेत्र में उद्यम, रोजगार सृजन को बढ़ावा मिले।

आधुनिक दुनिया में प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए नायडू ने कहा, ‘‘अब जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान का नारा होना चाहिए।’’

शनिवार को बिहार पहुंचे उपराष्ट्रपति राजगीर में कार्यक्रम के बाद रवाना हो गए। पटना से रवाना होने के पहले नायडू को राजभवन में मेजर जनरल राजपाल पुनिया ने अपनी पुस्तक ‘‘ऑपरेशन खुखरी: द ब्रेवेस्ट पीसकीपिंग मिशन अब्रॉड’’ की एक प्रति भेंट की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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