Parliament Session 2024: आज राज्यसभा में प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन का वॉकआउट कर दिया। भारी हंगामे के बीच पीएम मोदी के भाषण को सुने बिना विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया। विपक्ष के इस रवैये के बाद सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए कड़ी आलोचना की है।
उपराष्ट्रपति ने विपक्ष की इस हरकत को संविधान का अपमान बताया और इसे निराशाजनक करार दिया। हालांकि, सदन में जब विपक्ष वॉकआउट कर रही थी तो सभापति ने उन्हें ऐसा न करने से रोका और पीएम को बोलने देने का आग्रह किया। इस बीच, विपक्ष रूका नहीं और वह नारा, हंगामा करता रहा जिस बीच पीएम भाषण दे रहे थे।
विपक्ष पर बरसे धनखड़
दरअसल, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते समय विपक्षी सांसदों के राज्यसभा से वॉकआउट करने के बाद, राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, "मैंने उनसे आग्रह किया कि विपक्ष के नेता को बिना किसी रुकावट के बोलने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए, आज उन्होंने सदन को पीछे नहीं छोड़ा, उन्होंने गरिमा को पीछे छोड़ दिया।"
उपराष्ट्रपति ने कहा, "उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई, उन्होंने भारत के संविधान का अपमान किया, उन्होंने मेरा या आपका अपमान नहीं किया, उन्होंने संविधान की शपथ का अपमान किया।"
उन्होंने कहा, "भारत के संविधान का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता...मैं उनके आचरण की निंदा करता हूं...यह एक ऐसा अवसर है जहां उन्होंने भारतीय संविधान की भावना को अपमानित किया है, उसकी अवहेलना की है उन्होंने शपथ ली है...भारतीय संविधान आपके हाथ में पकड़ने वाली चीज नहीं है, यह जीवन जीने की किताब है। मुझे उम्मीद है कि वे आत्मनिरीक्षण करेंगे और कर्तव्य के मार्ग पर चलेंगे।''
PM मोदी ने भाषण में क्या कहा?
अपने भाषण में मोदी ने डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान के महत्व के बारे में बात की और बताया कि कैसे इसने उन्हें सार्वजनिक पद पर बने रहने में सक्षम बनाया, जबकि वे ऐसे परिवार से आते हैं जहां कोई भी व्यक्ति गांव का मुखिया भी नहीं बन पाया।
उन्होंने यह भी कहा कि, "संविधान मेरे लिए केवल नियमों का संकलन नहीं है, मैं इसकी भावना और इसके हर शब्द का सम्मान करता हूं।" विपक्ष विशेष रूप से उनकी टिप्पणियों से नाराज था, जब उन्होंने कहा, "मैंने सुझाव दिया था कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए, लेकिन ये वे लोग हैं जो आजकल संविधान का मजाक उड़ाते हैं, जिन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही गणतंत्र दिवस है और मेरे विचार को खारिज कर दिया।"
मल्लिकार्जुन खड़गे इस बिंदु पर टिप्पणी करना चाहते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए, जिसके कारण विपक्ष ने अपनी आवाज उठाई। उन्होंने "विपक्ष के नेता को बोलने दो" के नारे लगाना शुरू कर दिया।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि, "देश की जनता ने मुझ पर भरोसा किया है और अपने सपनों और योजनाओं को पूरा करने के लिए मुझे बहुमत से चुनने के लिए एकजुट हुई है।" विपक्ष ने सभापति जगदीप धनखड़ से मल्लिकार्जुन खड़गे के मामले पर संज्ञान लेने को कहा और आरोप लगाया कि उन्होंने विपक्ष को जवाब देने का मौका नहीं दिया।
विपक्ष के सदन से बाहर निकलते ही प्रधानमंत्री मोदी ने टिप्पणी की कि, "देश देख रहा है कि झूठ फैलाने वालों में सच सुनने की ताकत नहीं है। जिनमें सच का सामना करने का साहस नहीं है, उनमें इन चर्चाओं में उठाए गए सवालों के जवाब सुनने का साहस नहीं है। वे उच्च सदन, उच्च सदन की गौरवशाली परंपरा का अपमान कर रहे हैं।"