नई दिल्ली, 15 मईः कर्नाटक विधानसभा चुनाव के आखिरी रुझान आने तक किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने जेडी(एस) को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है। यह गठबंधन भी सरकार बनाने का दावा पेश करेगा। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में राज्यपाल की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। कर्नाटक की सत्ता की चाबी राज्यपाल वजुभाई वाला के पास पहुंच गई है। देखना दिलचस्प होगा कि वह पहले किसे सरकार बनाने का अवसर देते हैं?
गोवा और मणिपुर में राज्यपाल ने बदल दिया था खेल
गोवा में 40 विधानसभा सीटों के लिए 2017 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं और बीजेपी के पास 13 सीटें थीं, लेकिन बीजेपी यहां पर दूसरे दलों के समर्थन से सरकार बनाने में सफल रही। वहीं, इसी साल हुए 60 सीटों वाले मेघालय में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पास 21 सीटें थीं, लेकिन 20 सीटें लाने वाली एनपीपी ने यूडीपी (6 सीटें), पीडीएफ (4 सीटें), एचएसपीडीपी (2 सीटें) और बीजेपी (2 सीटें) के समर्थन से सरकार बना ली थी।
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राज्यपाल वजुभाई वाला का बीजेपी से पुराना नाता
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला बीजेपी के पुराने नेता रहा है। वो 2012 से 2014 तक गुजरात विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं। केंद्र मोदी सरकार के बनने के बाद उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया था। गुजरात सरकार में वह 1997 से 2012 तक वजुभाई गुजरात सरकार में वित्त मंत्री रहे।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कांग्रेस पार्टी ने जेडी(एस) को समर्थन और कुमारास्वामी को मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया है। यूपीए मुखिया सोनिया गांधी ने जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी कुमारास्वामी से बात भी की है। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने पहले ही अशोक गहलोत और गुलाम नबी आजाद को कर्नाटक भेज दिया था।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि जनादेश हमारे खिलाफ है। हम सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकते। हम जेडी(एस) को समर्थन दे रहे हैं। सिद्धारमैया आज शाम 4 बजे राज्यपाल वाजुभाई वाला से मिलकर अपना इस्तीफा सौंपेगे।
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