देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग अन्य बिंदुओं को लेकर बेरोजगार युवाओं से सरकार के अधिकारियों ने शुक्रवार को बात की। इस बातचीत के बाद देहरादून की जिलाधिकारी सोनिका ने छात्रों की 7 मांगों में से 5 मांगों को पूरा हो जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक वार्ता थी।
डीएम ने कहा कि उन्होंने नकल विरोधी कानून की मांग की थी, यह रातों-रात सीएम ने कर दिया और कानून अब अस्तित्व में आ गया है। एक और परीक्षा नियंत्रक लाया गया है। जिलाधिकारी ने कहा, आंदोलन कर रहे छात्र सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में एसआईटी जांच की जाएगी। वे परीक्षा टालने की मांग कर रहे थे लेकिन ऐसा कोई फैसला नहीं किया गया। तिथियां यथावत रहेंगी। उनकी लगभग 7 मांगें थीं, जिनमें से 5 पूरी हो चुकी हैं।
बता दें कि भर्ती परीक्षा घोटाले के खिलाफ बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को अनुमोदन दे दिया। इस अध्यादेश में दोषियों के लिए जुर्माने से लेकर सजा तक के सख्त प्रावधान हैं।
इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो उसके लिए भी आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि वह परीक्षार्थी किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो उसके लिए न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश के तहत यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की का प्रावधान भी किया गया है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)