नरेंद्र मोदी को जिस यूपी से लगा तगड़ा चुनावी झटका, उससे कैबिनेट में शामिल हुए नौ मंत्री, जानिए सियासी समीकरण

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 10, 2024 09:41 IST2024-06-10T09:34:39+5:302024-06-10T09:41:33+5:30

लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद नौ सांसद को नरेंद्र मोदी मंत्रीमंडल में जगह मिली है।

Uttar Pradesh, which gave a big electoral blow to Narendra Modi, nine ministers joined the cabinet, know the political and caste equations | नरेंद्र मोदी को जिस यूपी से लगा तगड़ा चुनावी झटका, उससे कैबिनेट में शामिल हुए नौ मंत्री, जानिए सियासी समीकरण

फाइल फोटो

Highlightsभाजपा ने चुनावी झटके के बावजूद यूपी से नौ सांसदों को बनाया मोदी सरकार में मंत्रीइन नौ मंत्रियों में से सात नई चुनी गई लोकसभा से हैं और दो राज्यसभा से हैपिछले मोदी मंत्रिमंडल की की तुलना करें तो यूपी की हिस्सेदारी कम हुई है, पहले 11 मंत्री थे

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश में निराशाजनक प्रदर्शन के बावजूद नौ सांसद को नरेंद्र मोदी मंत्रीमंडल में जगह मिली है। इन नौ मंत्रियों में से सात नई चुनी गई लोकसभा से हैं और दो सांसद राज्यसभा से है।

हालांकि पिछले मोदी मंत्रिमंडल से इसकी तुलना करें तो यूपी की हिस्सेदारी कम हुई है, पिछली सरकार में यूपी के 11 मंत्री मोदी सरकार में शामिल थे।

समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार चूंकि नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी यूपी में आता है, इस लिहाज से कैबिनेट में राज्य के सांसदों की कुल संख्या 10 होगी, जबकि दूसरे कार्यकाल में यह 12 थी। अगर इसमें हरदीप पुरी को भी शामिल कर लिया जाए, जिन्हें यूपी से राज्यसभा में भेजा गया है, तो मंत्रियों की संख्या 11 हो जाती है।

मोदी मंत्रिमंडल में अगर यूपी के हिस्सेदारी पर बात करें तो अन्य राज्यों की अपेक्षा में कम कटौती की गई है, जिसके कारण दूसरे राज्यों से अभी भी यूपी की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है। यह इस बात का प्रमाण है कि पार्टी के आला अधिकारी समझते हैं कि उन्हें राज्य में भाजपा की हार के बाद पैदा हुई समस्याओं को हल करने के लिए ठोस प्रयास शुरू करने होंगे।

भाजपा यूपी का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्रियों की संख्या कम करने के बजाय सूबे में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए पूरी ताकत के साथ काम करने की तैयारी में है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यूपी से सांसदों की संख्या में किसी भी तरह की कमी से जातीय समीकरणों पर असर पड़ सकता है और वे जातियां और नाराज हो सकती हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन नहीं किया था।

मोदी की तीसरी कैबिनेट में जगह बनाने वाले सांसदों में चार ओबीसी, तीन ऊंची जातियां और दो दलित हैं। ऊंची जातियों में दो ठाकुर और एक ब्राह्मण हैं जबकि ओबीसी में दो कुर्मी, एक जाट और एक लोध हैं।

तीसरी बार लखनऊ से सांसद और पूर्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को नरेंद्र मोदी ने फिर से मंत्रालय में बरकरार रखा है। हालांकि 2014 के बाद यह पहला कार्यकाल होगा जब बीजेपी को अपने गठबंधन सहयोगियों को पहले से कहीं अधिक खुश रखना होगा क्योंकि बीजेपी बहुमत से पीछे रह गई है। यूपी में अपना दल (एस) और आरएलडी जैसे बीजेपी के गठबंधन सहयोगी भी हैं।

अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल और यूपी में भाजपा के नये सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इसके अलावा यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस अध्यक्ष जितिन प्रसाद को भी मोदी कैबिनेट में जगह मिली है।

जितिन भाजपा में शामिल होने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे, उन्हें पार्टी ने वरुण गांधी का टिकट काटते हुए पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से उतारा था, जहां से उन्होंने 1.6 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।

मोदी कैबिनेट में कुछ बदलाव जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर किए गए हैं। उस पर नजर डालें तो महाराजगंज से छह बार के भाजपा सांसद पंकज चौधरी को फिर से मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है, यह एक ऐसा कदम है, जिसे कुर्मियों को लुभाने के कदम के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कुर्मी वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए सपा से 10 कुर्मी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था, जो कि सपा में यादव उम्मीदवारों से दोगुना थे। 

इसी तरह पाल समाज से आने वाले एसपी सिंह बघेल फिर से कैबिनेट मंत्री का पद संभालेंगे। बघेल ने आगरा (सुरक्षित) निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार अच्छे अंतर से जीत हासिल की। कल्याण सिंह के निधन के बाद लोध नेता की तलाश जारी रखते हुए पार्टी ने एक बार फिर राज्यसभा सासंद बीएल वर्मा पर भरोसा जताया है।

वहीं दलित मंत्री भानु प्रताप वर्मा के जालौन से हारने के बाद गोरखपुर के पास बांसगांव से सांसद कमलेश पासवान यूपी से नए दलित चेहरे के रूप में उभरे हैं। पासवान लगातार चौथी बार सांसद चुने गए। वह पासी समाज से आते हैं। 

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