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यूपी विधान परिषद चुनाव: 13 सीटों पर 26 अप्रैल को होंगे चुनाव, सपा के पास बसपा को ‘रिटर्न गिफ्ट’ देने का मौका

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: April 9, 2018 11:04 IST

उत्तर प्रदेश विधान परिषद का पूरा चुनावी गणित। पढ़िए ये विशेष रिपोर्ट...

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लखनऊ, 09 अप्रैलः उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 26 अप्रैल को चुनाव होंगे। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के पास मौका है कि बसपा को 'रिटर्न गिफ्ट' दे। बसपा ने गोरखपुर और लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी का समर्थन किया था। दोनों ही सीटों पर सपा को जीत मिली थी। लेकिन राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। इसबार के विधान परिषद चुनाव विपक्षी पार्टियों की एकता में जान फूंकने के लिए बेहद अहम हैं। विधान परिषद चुनाव के परिणाम भी 26 अप्रैल को ही घोषित कर दिए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश विधान परिषदः चुनावी समीकरण

उत्तर प्रदेश विधान परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। इसमें एक प्रत्याशी को जिताने के लिये प्रथम वरीयता के 29 मतों की जरूरत होगी। प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों पर पिछले महीने हुए चुनाव में नौ सीटें जीतने वाली भाजपा प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में 324 विधायकों के दम पर कम से कम 11 सीटें आसानी से जीत सकती है। 

सपा के पास 47 विधायक हैं लेकिन उसके राष्ट्रीय महासचिव रहे नरेश अग्रवाल के भाजपा में चले जाने के बाद उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था। वहीं उसके विधायक हरिओम यादव जेल में हैं। वह राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे। ऐसे में सपा के पास 45 वोट ही हैं। वह अपने दम पर एक प्रत्याशी को विधान परिषद पहुंचा सकती है। इसके बावजूद उसके पास 16 वोट बच जाएंगे।

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बसपा के पास 19 विधायक हैं, मगर उसके विधायक मुख्तार अंसारी राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे, लिहाजा इस बार भी उनके वोट डालने की सम्भावना बहुत कम है। वहीं, बसपा विधायक अनिल सिंह ने भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी। उस लिहाज से देखें तो बसपा अपने 17 विधायकों पर ही भरोसा करेगी। हर तरह से बसपा को अपना उम्मीदवार जिताने के लिये सपा का साथ लेना होगा। बसपा का काम कांग्रेस के सात विधायकों की मदद मात्र से भी नहीं चलेगा।

हालांकि विधान परिषद चुनाव में राज्यसभा चुनाव की तरह जोड़-तोड़ और क्रॉस वोटिंग की सम्भावना कम ही है। भाजपा के पास अपने 11 प्रत्याशियों को जिताने के बाद केवल पांच वोट शेष रह जाएंगे। माना जा रहा है कि सभी सीटों पर निर्विरोध चुनाव हो जाएगा।

उत्तर प्रदेश विधान परिषदः मौजूदा स्थिति

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं। वर्तमान में भाजपा के महज 13 सदस्य हैं। वहीं सपा के 61, बसपा के नौ, कांग्रेस के दो, राष्ट्रीय लोकदल का एक तथा अन्य 12 सदस्य हैं। दो सीटें रिक्त हैं। विधान परिषद सदस्य और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा भाजपा सरकार के मंत्रियों महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा समेत 13 सदस्यों का कार्यकाल आगामी पांच मई को समाप्त हो रहा है। जो 13 सीटें खाली होंगी, उनमें सात सपा की, दो-दो भाजपा और बसपा की और एक राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की है। इनमें एक सीट पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी की भी है, जो उनके सपा से बसपा में जाने के बाद रिक्त हुई थी।

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सपा अध्यक्ष अखिलेश के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी, सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, उमर अली खां, मधु गुप्ता, रामसकल गुर्जर और विजय यादव का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके अलावा बसपा के विजय प्रताप और सुनील कुमार चित्तौड़ तथा रालोद के एकमात्र सदस्य चौधरी मुश्ताक का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।

सभी पार्टियों ने किए जीत के दावे

भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा कि उनकी पार्टी विधान परिषद की 13 में से 11 सीटें जीतने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है। वहीं, सपा प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा कि सपा और बसपा गठबंधन आसानी से दो सीटें जीतेगा। कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि विधानसभा में अपने संख्याबल के आधार पर उनकी पार्टी अपना एक भी प्रत्याशी जिताने की स्थिति में नहीं है। हालांकि वह समान विचारों वाली पार्टियों का समर्थन कर सकती है। बहरहाल, उन्हें उम्मीद है कि अगर कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारने का फैसला करती है तो उसे बसपा का साथ मिलेगा, क्योंकि उसने राज्यसभा चुनाव में इस पार्टी का पूरा सहयोग किया था।

राज्य विधान परिषद के आगामी चुनाव के लिये अधिसूचना सोमवार को जारी होगी। नामांकन पत्र 16 अप्रैल तक दाखिल किये जा सकेंगे, जिनकी जांच 17 अप्रैल को की जाएगी। नामांकन 19 अप्रैल तक वापस लिये जा सकेंगे।

PTI Bhasha Inputs

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