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उत्तर प्रदेशः भतीजे आकाश पर दांव लगाएगी बसपा प्रमुख मायावती!, दलित, मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के युवाओं पर फोकस, लोकसभा चुनाव 2024 पर नजर

By राजेंद्र कुमार | Updated: January 17, 2023 16:41 IST

यूपी 2024ः आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तैयार गई इस योजना को लेकर मायावती को मायावती को भरोसा है कि आकाश युवाओं को पार्टी से जोड़ने में सफल होगा.

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ठळक मुद्देआकाश बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं. 50 फीसदी यूथ को पार्टी से जोड़ने का दायित्व सौंपा है.बसपा सुप्रीमो से मिले इस दायित्व को पूरा करने के लिए आकाश भी सक्रिय हो गए हैं.

लखनऊः सोशल इंजीनियरिंग के जरिए नए-नए प्रयोग करने में माहिर बसपा मुखिया मायावती अब अपने भतीजे आकाश के जरिए दलित, मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के युवाओं को पार्टी से जोड़ेंगी. समाज के इन तीन वर्गो के युवाओं को जोड़ने के लिए मायावती ने अपने भतीजे आकाश को ज़िम्मेदारी सौंपी है.

आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तैयार गई इस योजना को लेकर मायावती को मायावती को भरोसा है कि आकाश युवाओं को पार्टी से जोड़ने में सफल होगा. आकाश बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं. मायावती ने उन्हे हाल ही में 50 फीसदी यूथ को पार्टी से जोड़ने का दायित्व सौंपा है. बसपा सुप्रीमो से मिले इस दायित्व को पूरा करने के लिए आकाश भी सक्रिय हो गए हैं.

बीते दिनों उन्होंने देश के युवाओं से एक मजबूत देश बनाने और जातीय अत्याचार खत्म करने के लिए बसपा से जुड़ने की अपील की है. आकाश का दावा है, युवा ही बसपा और देश का भविष्य है. आकाश की इस अपील को उनसे राजनीति में सक्रिय होने और पार्टी में अहम जिम्मेदारियों को संभालने का संकेत माना जा रहा है.

अभी आकाश पार्टी में नेशनल कोऑर्डिनेटर के रूप में मायावती के फैसलों को पार्टी पदाधिकारियों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे थे. अब मायावती ने अपनी रणनीति के तहत गैर यादव अति पिछड़े वर्ग, दलित और मुस्लिम समाज के युवाओं को बसपा से जोड़ने का दायित्व आकाश को सौंपा है. मायावती को पता है कि यदि उनकी देखरेख में आकाश इस दायित्व को पूरा करने से सफल होगा.

बसपा नेताओं के अनुसार, यूपी में गैर-यादव अति पिछड़े वर्ग के मतदाता 35 फीसदी से ज्यादा है. वहीं, सूबे में दलित मतदाताओं की संख्या करीब 22 फीसदी है. इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में करीब 20 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जो अपनी एकतरफा वोटिंग के लिए जानी जाती है. इन तीनों समुदायों के मतदाताओं का कुल प्रतिशत 77 फीसदी के करीब हो जाता है.

अगर कोई भी सियासी दल इन तीनों समुदायों को साध लेता है, तो वो न केवल बीजेपी को टक्कर देगा, बल्कि सत्ता पर उसकी मजबूत पकड़ भी तय है. जातियों के इन आंकड़ों के आधार पर ही मायावती ने आकाश को इन जातियों के 50 फीसदी युवाओं को बसपा से जोड़ने का मिशन सौपा है. अब इन युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए आकाश बसपा के संस्थापक काशीराम की तरह युवाओं के बीच कार्य करेंगे.

और युवाओं को यह बताएंगे कि भाजपा दलित समाज को मिल रहे आरक्षण को खत्म करने की फिराक में है तथा यह पार्टी जानबूझकर ओबीसी आरक्षण को लागू ही नहीं करना चाहती है. आनंद को उम्मीद है कि दलित, मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के लोगों के बीच में उनका यह प्रचार युवाओं को बसपा से जोड़ने में सफल होगा.

टॅग्स :मायावतीउत्तर प्रदेशबीएसपीलोकसभा चुनाव
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