लाइव न्यूज़ :

उत्तर प्रदेश और बिहार बॉर्डरः डेढ़ किमी के लिए 7000 रुपये, बक्सर से बलिया का किराया, नाविकों की मनमानी से परेशान लोग

By एस पी सिन्हा | Updated: February 10, 2022 16:35 IST

बक्सर धार्मिक महत्व वाला एक शहर है. स्थानीय लोग इसे मिनी काशी के नाम से भी पुकारते हैं. वहीं, बक्सर के रामरेखा घाट पर बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए भी जबर्दस्त भीड़ उमड़ती है.

Open in App
ठळक मुद्देश्रद्धालुओं के कारण शहर की सड़कें पूरी तरह जाम हो जाती हैं.छोटी नावों के भी गंगा पार जाकर लौटने के लिए भी सात हजार रुपए के करीब किराया वसूल लेते हैं. बिहार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी हिंदू श्रद्धालु आते हैं.

पटनाः बिहार के बक्सर जिले में केवल एक से डेढ़ किलोमीटर के सफर के लिए साधारण नाव से सवारी करने पर सात हजार रुपए किराया देने पड़ते हैं. यह सुनने में भले ही अटपटा लगे, लेकिन यह सच्चाई है. दरअसल, गंगा नदी बक्सर जिले और उत्तर प्रदेश के बलिया जिले को अलग करती है.

 

गंगा नदी बक्सर शहर से बिल्कुल सट कर बहती है. ऐसे में वहां लोगों को आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इतना महंगा किराया होने के बावजूद सवारियों की भीड़ लगी रहती है. नाविकों के पास किनारे पहुंच कर थोड़ा आराम करने की फुरसत नहीं होती है. नाव वाले गंगा पार जाकर लौटने के लिए लगभग 7 हजार रुपये किराया वसूलते हैं.

बताया जाता है कि बक्सर धार्मिक महत्व वाला एक शहर है. स्थानीय लोग इसे मिनी काशी के नाम से भी पुकारते हैं. वहीं, बक्सर के रामरेखा घाट पर बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए भी जबर्दस्त भीड़ उमड़ती है. कहा जाता है कि विशेष मुहूर्त ऊपर पर इस घाट पर पैर रखने की जगह नहीं बचती है. दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के कारण शहर की सड़कें पूरी तरह जाम हो जाती हैं.

नाविक इसी बात का फायदा उठाते हैं. छोटी नावों के भी गंगा पार जाकर लौटने के लिए भी सात हजार रुपए के करीब किराया वसूल लेते हैं. जानकारों के अनुसार गंगा के किनारे रामरेखा घाट पर स्नान के लिए बिहार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी हिंदू श्रद्धालु आते हैं. सनातन धर्मावलंबियों के 16 संस्कारों में मुंडन आठवां है.

ज्यादातर लोग गंगा घाटों पर सपरिवार पहुंच कर अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराते हैं. मुंडन संस्कार में ही पहली बार किसी बच्चे के केश काटे जाते हैं. इस मौके पर एक विशेष किस्म की रस्सी, जिसे स्थानीय भाषा में बाध कहा जाता है, से नदी के दोनों किनारों को नापा जाता है.

आम की लकड़ी से बने खूंटे में रस्सी का एक सिरा बांध कर लोग नाव के सहारे गंगा को पार करते हैं और रस्सी का दूसरा सिरा नदी के दूसरे छोर पर खूंटा गाड़ कर बांधते हैं. इस दौरान नदी के दोनों किनारे घाटों पर पूजा की जाती है. नाव को दूसरे किनारे जाकर लौटने में 30 से 40 मिनट के करीब वक्त लगता है. भीड़ अधिक होने पर नाविकों का संघ खुलेआम मनमानी करता है.

टॅग्स :बिहारउत्तर प्रदेश
Open in App

संबंधित खबरें

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

ज़रा हटकेVIDEO: सीएम योगी ने मोर को अपने हाथों से दाना खिलाया, देखें वीडियो

भारतBihar: उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने विपक्षी दल राजद को लिया निशाने पर, कहा- बालू माफिया की छाती पर बुलडोजर चलाया जाएगा

भारत अधिक खबरें

भारतIndigo Crisis: इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बीच रेलवे का बड़ा फैसला, यात्रियों के लिए 37 ट्रेनों में 116 कोच जोड़े गए

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की