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यूपीएससी ने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द की, भविष्य में भी नहीं दे पाएंगी कोई परीक्षा

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 31, 2024 16:31 IST

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने बुधवार, 31 जुलाई को प्रशिक्षु भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर की 2022 सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) में उम्मीदवारी रद्द कर दी। इसके साथ ही उन्हें आयोग की किसी भी भविष्य की परीक्षा में बैठने से रोक दिया।

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ठळक मुद्देयूपीएससी ने प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कीभविष्य में भी नहीं दे पाएंगी कोई परीक्षावह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रही

नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने बुधवार, 31 जुलाई को प्रशिक्षु भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर की 2022 सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) में उम्मीदवारी रद्द कर दी। इसके साथ ही उन्हें आयोग की किसी भी भविष्य की परीक्षा में बैठने से रोक दिया। 

यूपीएससी ने खेडकर को 18 जुलाई को अपनी पहचान फर्जी बनाकर परीक्षा नियमों में प्रदान की गई अनुमेय सीमा से परे प्रयासों का धोखाधड़ी से लाभ उठाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उन्हें 25 जुलाई तक नोटिस पर अपना जवाब देने के लिए कहा गया था। लेकिन उन्होंने 4 अगस्त तक का और समय मांगा। यूपीएससी ने उन्हें अपनी बात रखने के लिए 30 जुलाई को दोपहर 3.30 बजे तक की अनुमति दी।

पीएससी के एक बयान में कहा गया है कि समय सीमा बढ़ाने की अनुमति के बावजूद, वह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रही। यूपीएससी ने उपलब्ध रिकॉर्ड की सावधानीपूर्वक जांच की और उन्हें सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों के उल्लंघन में कार्य करने का दोषी पाया। सीएसई-2022 के लिए उनकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी भविष्य की परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है।

इसमें कहा गया है कि खेडकर के मामले की पृष्ठभूमि में यूपीएससी ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक अनुशंसित उम्मीदवारों के डेटा की जांच की थी। और पाया कि उनके अलावा  किसी अन्य उम्मीदवार ने सीएसई नियमों के तहत अनुमति से अधिक प्रयासों का लाभ नहीं उठाया था। पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के अकेले मामले में, यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उनके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी क्योंकि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। बयान में कहा गया है कि यूपीएससी यह सुनिश्चित करने के लिए एसओपी को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा न हो।

झूठे विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र जमा करने के संबंध में  यूपीएससी ने कहा कि वह प्रारंभिक जांच करता है और सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए जाने पर प्रमाणपत्रों को वास्तविक मानता है। यूपीएससी के पास हर साल उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए हजारों प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच करने का न तो अधिकार है और न ही साधन। बयान में कहा गया है कि यह समझा जाता है कि प्रमाणपत्रों की वास्तविकता की जांच और सत्यापन इस कार्य के लिए अधिकृत अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

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