लखनऊः उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव अगले साल अप्रैल और मई में होने हैं. इन चुनाव में आरक्षण का आधार क्या होगा? इसे तय करने के लिए पहले आरक्षण का आधार वर्ष तय करने के साथ ही आरक्षण की प्रक्रिया को पारदर्शी और विवाद मुक्त बनाने के लिए राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया जाएगा. पंचायती राज विभाग ने इस आयोग के गठन का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है. छह सदस्यीय राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन के इस प्रस्ताव पर इसी सप्ताह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में मुहर लगेगी. कैबिनेट की मंजूरी के बाद आयोग का गठन होगा और जनसंख्या डेटा संकलन का कार्य शुरू होगा.
जनसंख्या के आधार पर आरक्षण
पंचायती राज विभाग विभाग के अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की जनसंख्या संबंधी रिपोर्ट के आधार पर ही ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत चुनावों में आरक्षण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान संभव हो सकेगा.
अधिकारियों के मुताबिक जनगणना वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार, प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों व अनुसूचित जातियों का प्रतिशत क्रमशः: 0.5677 और 20.6982 प्रतिशत है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इन वर्गों के लिए इसी अनुपात में सीटें आरक्षित की जाएगी. वहीं, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की व्यवस्था में विशेष सावधानी बरती जा रही है.
इसके चलते किसी ब्लॉक में ओबीसी की जनसंख्या 27 प्रतिशत से अधिक होने पर भी ग्राम प्रधान के पदों का आरक्षण 27 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा. हालांकि, यदि किसी ब्लॉक में ओबीसी की जनसंख्या 27 प्रतिशत से कम है, तो उसी अनुपात में आरक्षण लागू होगा. प्रदेश स्तर पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायत) में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा.
आयोग के गठन से यह होगा लाभ
इस व्यवस्था के अनुसार ही आगे साल पंचायत चुनाव होगा और चुनाव के दौरान कोई विवाद ना हो इसके लिए पिछले नगर निकाय चुनावों में ओबीसी जनसंख्या के प्रतिशत को लेकर हुए विवादों से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार इस बार सतर्क है. नगर निकाय चुनावों में विवाद के बाद सरकार ने समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर जनसंख्या की सटीक जानकारी के आधार पर आरक्षण तय किया था.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है ताकि किसी तरह का विवाद न हो. इसके लिए ही पंचायती राज विभाग ने छह सदस्यीय राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का प्रस्ताव तैयार किया है. यह आयोग प्रदेश में विभिन्न जिलों का दौरा कर ओबीसी की जनसंख्या के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करेगा.
इसके बाद आयोग अपनी समग्र रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा. इस रिपोर्ट के आधार पर ही आरक्षण की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके चलते पंचायत चुनाव में ना केवल आरक्षण की प्रक्रिया को निष्पक्ष और व्यवस्थित बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा.
अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि पंचायत चुनाव में सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व मिले और पंचायत चुनाव सुचारू रूप से संपन्न हों. आयोग के गठन और उसकी रिपोर्ट के बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया में और तेजी आएगी.
किस वर्ग के लिए कुल कितने पद
प्रदेश में 75 जिला पंचायत, 826 क्षेत्र पंचायत और 57691 ग्राम पंचायतें हैं. चुनाव में विभिन्न वर्गों की आबादी के प्रतिशत के आधार पर सीटों का निर्धारण होता है. कहा जा रहा है कि राज्य में ग्राम प्रधानों के करीब 300 पद अनुसूचित जनजाति, 12000 पद अनुसूचित जाति और करीब 15500 पद पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे.
इसी तरह से जिला पंचायत अध्यक्ष के 16 पद एससी और 20 पद ओबीसी को मिलेंगे. क्षेत्र पंचायत प्रमुख में एसटी के लिए 5 पद, एससी के लिए 171 पद और ओबीसी के लिए 223 पद मिलेंगे. कुल पदों के 33 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे. अब आयोग अपनी रिपोर्ट में क्या तय करेगा इसका खुलासा आयोग की रिपोर्ट से होगा.