लखनऊ: समूचे देश में चुनाव दर चुनाव कमजोर होती जा रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को फिर से एक मजबूर राजनीतिक ताकत बनाने के लिए मायावती अब अपनी कार्यशैली में बदलाव लाएंगी। अब वह सिर्फ चुनाव के दौरान ही जनसभाओं को समोधित करने को अपनी रणनीति को बदलेंगी और पीएम नरेंद्र मोदी की तर्ज पर हर 15 दिन में एक बड़ी जनसभा को संबोधित कर बहुजन समाज को अपनी विचारधारा से अवगत कराएंगी। इसके साथ ही पार्टी से छिटक रहे दलित समाज को पार्टी से जोड़ रखने के लिए उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्र से लेकर बूथ स्तर तक सामाजिक बैठकों के जरिए एक बार फिर से अलग-अलग जातियों को जोड़ने का सिलसिला शुरू किया जाएगा।
ऐसे बनी थी बसपा बड़ी ताकत
बसपा नेताओं के अनुसार, अगले माह 15 जनवरी को मायावती के जन्मदिन के बाद यह सिलसिला शुरू होगा, जिसके चलते पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता हर जिले में अपने समाज के बीच जाएंगे। विधानसभा क्षेत्र स्तर पर बैठक करेंगे। इन बैठकों में संबंधित क्षेत्र के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे और हर बैठक में पार्टी की उपलब्धियां तथा अहमियत बताकर समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश की जाएगी।
इसके साथ ही इन बैठकों में पार्टी की रणनीति और कार्यक्रमों के बारे में बताया जाएगा। इसके बाद फिर बूथ स्तर तक के पदाधिकारी बैठक करेंगे। बूथ कमेटियों में अलग-अलग जातियों के पदाधिकारी और सदस्य हैं। वे अपने-अपने समाज के बीच पार्टी की नीतियों, उपलब्धियों और वोट की अहमियत के बारे में बताएंगे।
इसके जरिए कोशिश यह होगी कि नीचे तक संदेश जाएगा और लोकसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार होगी। बसपा के संस्थापक कांशीराम ने इसी तरीके से पार्टी को एक मजबूत राजनीतिक ताकत बनाया था। वह खुद जिलों में जनसभा कर बहुजन समाज को एकजुट करते थे और पार्टी के नेता बूथ स्तर तक सामाजिक बैठक कर लोगों को सरकार की जनविरोधी नीतियों के बारे में बताते थे।
अब फिर से मायावती ने कांशीराम के तरीके से फिर बसपा को मजबूत ताकत बनाने के लिए पार्टी नेताओं को ऐसी बैठक करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी 15 जनवरी के बाद अपनी जनसभाओं को आयोजित करने की योजना भी तैयार करनी शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि अंबेडकर नगर या बिजनौर जिले से मायावती अपनी जनसभाओं का सिलसिला शुरू करेंगी.
इसलिए बदली कार्यशैली
बसपा नेताओं के अनुसार, वर्ष 2007 में पार्टी यूपी में भले ही पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रही हो, लेकिन उसके बाद से ही गिरावट देखने को मिल रही है। वर्ष 2012 के यूपी चुनाव में पार्टी 206 सीट से घटकर 80 सीटों पर आ गई। फिर वर्ष 2017 में पार्टी महज 19 सीटों पर सिमट गई। बीते लोकसभा चुनावों में सपा के साथ गठबंधन कर पार्टी दस लोकसभा सीट जीतने में सफल हुई लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी एक सीट जीतने के साथ 13 फीसदी वोट पर सिमट गई।
पार्टी की चुनावी रणनीति की तमाम खामियों के चलते बसपा की यह गति हुई। कहा जा रहा है कि पार्टी नेताओं से मिले इस फीडबैक को गंभीरता से लेते हुए ही मायावती ने चुनाव के पहले ही यूपी के हर जिले में बड़ी जनसभा को संबोधित करने की योजना तैयार की और पार्टी नेताओं को भी सक्रिय करने का फैसला किया, जिसके क्रम में सबसे पहले उन्होने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
इसके बाद उन्होंने अपने जन्मदिन के बाद जिलों में जनसभा करने का फैसला किया है। मायावती का जन्मदिन 15 जनवरी को है और मायावती ने अपने जन्मदिन पर सार्वजनिक स्थान की जगह अपने घर पर परिवार के साथ केक काटने के निर्देश दिए हैं। परिवार के साथ केक काटने का मकसद यह है कि नई पीढ़ी को भी बसपा प्रमुख और उनके कामों की जानकारी हो सके।
मायावती के जन्मदिन पर उस दिन हर जिले में बसपा सार्वजनिक स्थान पर एक कार्यक्रम आयोजित करेगी। इस कार्यक्रम में सौ कमजोर लोगों को रोजगार करने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी और कार्यक्रम के दौरान लोगों को बताया जाएगा कि मायावती ने अब तक समाज के लिए क्या किया है। मुख्यमंत्री रहते हुए उनके कार्यकाल की उपलब्धियां भी बताई जाएंगी।