लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सियासत में इस वक्त अंदरखाने में खूब उठापटक हो रही है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक जहां अपने ओहदे में इजाफा करने को लेकर बेचैन हैं. वही समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के विधायक पंचायत चुनावों में सत्तापक्ष को पटकनी देने के लिए गांवों में अपनी सक्रियता बढ़ा दिए हैं. सपा और कांग्रेस के इस कवायद का संज्ञान लेते हुए भाजपा के विधायक जातीय बैठक आयोजित कर मुख्यमंत्री योगी और पार्टी संगठन के बड़े पदाधिकारियों पर दबाव बनाने के जुट गए हैं.
वर्षों पहले कल्याण सिंह के शासनकाल के दौरान भाजपा विधायकों ने ऐसी ही बैठकर कर कल्याण सिंह पर दबाव बनाकर अपने चहेतों को निगमों में अध्यक्ष बनवाया था. और खुद सरकार में मंत्री बने थे. इस तरह ही बैठक आयोजित करने के लिए तब राजनाथ सिंह, ओमप्रकाश सिंह और कलराज मिश्र का नाम लिया जाता था, लेकिन इस बार ऐसे बैठक आयोजित करने की पहल सरकार में मंत्री बने या बने रहने की लालसा के चलते हो रही हैं.
यहीं वजह है कि विधानसभा सत्र के समाप्त होने के पहले ही लखनऊ के एक बड़े होटल में भाजपा के ठाकुर विधायकों की एक अहम बैठक हुई है, जिसमें 40 राजपूत एमएलए और एमएलसी शामिल हुए. इस बैठक में समाजवादी पार्टी से बागी हुए दो विधायक भी शामिल हुए. यहीं नहीं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले बहुजन समाज पार्टी के विधायक उमाशंकर सिंह भी इसमें शामिल हुए. इस बैठक को ‘कुटुम्ब परिवार’ का नाम दिया गया.
इसके अगले ही दिन सीएम योगी के एक नजदीकी मंत्री जिन्हें मंत्रिमंडल से हटाए जाने का डर है, उन्होने भी पार्टी के ठाकुर विधायकों की बैठक आयोजित की. इसके बाद पार्टी के कुर्मी और लोध जाति की राजनीति करने वाले सीनियर विधायकों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए डिनर बैठक की. ऐसी बैठके आयोजित करने वाके विधायक अपने जमावड़े को एक सामाजिक पहल बता रहे हैं, लेकिन इसका असली कारण राजनीतिक है. यह बैठक मुख्यमंत्री योगी और भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश ज्यादा दिख रही है.
इसलिए सक्रिय हैं भाजपा विधायक :
कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर कई मसलों पर उच्च स्तर से लेकर नीचे तक रस्साकशी चल रही है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लंबे अरसे से लटका हुआ है. पार्टी के तमाम सीनियर नेता इस पद के दावेदार हैं. लोधी समाज से आने वाले धर्मपाल सिंह और बीएल वर्मा दोनों ही इस कुर्सी को पाना चाहते हैं. जबकि पार्टी में इनकी खिलाफत करने वाले तमाम नेता यह चाहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर लोध समाज का विधायक काबिज हो.
ब्राह्मण समाज के एक सीनियर नेता दूसरी बार राज्यसभा सदस्य बनने के लिए राजपूत नेताओं की बैठकों की रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को दे रही हैं. कुल मिलाकर यूपी की राजनीति में जातिवाद को उभारा जा रहा है. और प्रदेश की पूरी राजनीति जाति आधारित होती जा रही है. विपक्ष ओबीसी और दलितों के मुद्दे उठाकर उनको अपनी ओर करने की कोशिश कर रहा है. जवाब में भाजपा विधायक जातीय संतुलन का प्रदर्शन कर अपनी जगह को सुनिश्चित करने की मुहिम में जुटे हैं.