लखनऊः जैसा सोचा जा रहा था, ठीक वैसा ही हुआ. यानी समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित किए गए तीन विधायकों मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को यूपी विधानसभा से असंबद्ध घोषित कर दिया गया है. इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है. इन विधायकों की सदस्यता खत्म होने के संबंधी चर्चाओं पर विराम लग गया है. अब यह तीनों विधायक विधानसभा के भीतर सपा के विधायकों के साथ नहीं बैठेंगे, बल्कि सदन में वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों के नजदीक बैठे हुए दिखाई देंगे. यही नहीं अब इन विधायकों को इस्तीफा देखकर विधानसभा का चुनाव लड़ने की जरूरत भी नहीं रही. इन तीनों विधायकों के विधानसभा से असंबद्ध किए जाने का मतलब है कि ये विधायक अब सदन में किसी दल का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकेंगे.
बल्कि इन तीनों विधायकों को स्वतंत्र सदस्य के तौर पर देखा जाएगा. इसका प्रभाव उनके सदन में बैठने की व्यवस्था, बोलने के अधिकार और संसदीय समितियों में प्रतिनिधित्व पर पड़ेगा और सपा के नेता उन्हें भाजपा के साथी और पार्टी का बागी बताएंगे.
इस कारण से हुए थे बागी
यूपी की राजनीति में लंबे समय के बाद किसी दल के बागी विधायकों को यूपी विधानसभा से असंबद्ध घोषित किया गया है. वर्षों पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में हुए विभाजन के दौरान बागी विधायकों को असंबद्ध घोषित गया था. अब फिर ऐसा हुआ तो इसकी वजह विधायक मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह द्वारा 11 माह पूर्व राज्यसभा के चुनावों के दौरान प्रदेश के बड़े बिल्डर और भाजपा के उम्मीदवार संजय सेठ के पक्ष में वोट डालना रहा है. पार्टी के विहिप की अनदेखी करते हुए इन तीनों विधायकों के यह किया था और पार्टी के कई अन्य विधायकों को भी इसके लिए मनाया था.
जिसके चलते सपा के चार अन्य विधायकों ने भी संजय सेठ के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन बाद में चारों विधायकों ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिलकर अपना पक्ष उनके समक्ष रखा. इसके विपरीत सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की आलोचना करते हुए बीते लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया.
भाजपा के मंच भी शेयर किया. यही नहीं इन तीनों विधायक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली में गए. पार्टी विधायकों के इस व्यवहार से खफा होकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इन तीनों बागी विधायकों मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया.
अखिलेश यादव के इस फैसले के बाद अब तीनों विधायक को सदन में अलग बैठने की व्यवस्था की जाएगी. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इन तीनों विधायकों को 9 जुलाई से असम्बद्ध घोषित कर दिया है. प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने इस संबंध में आदेश आज जारी किया है.
अब ये विधायक न तो सपा के किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले सकेंगे और न ही सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे. असंबद्ध होने का मतलब ये है किये तीनों विधायक अब किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं हैं. इस कारण इन तीनों विधायकों पर कोई व्हिप लागू नहीं होगा.
बागी विधायकों को लेकर अखिलेश ने किया था तंज़
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी के इन तीनों बागी विधायकों को निष्कासित करते हुए तंज़ किया था. उन्होंने कहा था कि हमने अपने तीन विधायकों को पार्टी से निष्कासित करके उनके मंत्री बनने में सामने आ रहे 'टेक्निकल इश्यू' (तकनीकी बाधा) को दूर किया है. जब यह तीनों मंत्री बन जाएंगे तो वह पार्टी के बाकी बागी विधायकों को भी निकालकर उनकी भी बाधा दूर करेंगे.
अब देखना यह है कि राज्यसभा चुनावों में भाजपा का साथ देने वाले इन तीनों विधायकों को भाजपा का नेतृत्व पार्टी में कब शामिल करता है. फिलहाल तो ऐसा होने की उम्मीद अभी नहीं है, क्योंकि भाजपा में अभी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के चयन का मामला अभी सुलझा नहीं है.
ना भी अभी पार्टी संगठन के चुनाव ही पूरे हुए है, अभी बीस से अधिक जिलों के जिलाध्यक्ष तय किए जाने हैं. ऐसे में अभी यह तीनों विधायक विधानसभा में बैठक सिर्फ सत्ता पक्ष का ही साथ देंगे, ताकि भाजपा उन्हे अपने से दूर ना करे.