लखनऊ: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बेहद खराब रहा। पार्टी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 99 सीटों पर उसके उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। हालांकि ये जरूर रहा कि पार्टी के वोट शेयर में इस बार 2017 के मुकाबले मामूली वृद्धि हुई है।
यह गौर करने वाली बात है कि, एआईएमआईएम ने अपने अधिकांश उम्मीदवारों को उन निर्वाचन क्षेत्रों में मैदान में उतारा था, जहां मुस्लिम आबादी और मतदाताओं का प्रतिशत काफी अधिक है। पिछले विधानसभा चुनावों में भी जब एआईएमआईएम ने ऐसे मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से 38 उम्मीदवार खड़े किए थे तब उसके लगभग सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
कमोबेश ऐसा ही इस बार भी हुआ है। लगभग सभी लड़ी गई सीटों पर AIMIM उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। हालांकि पार्टी प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में पार्टी का विकास हो रहा है।
एआईएमआईएम बस एक प्रत्याशी बचा सका जमानत
यूपी चुनाव में जमानत बचाने वाले एकमात्र एआईएमआऑईएम उम्मीदवार मुबारकपुर निर्वाचन क्षेत्र से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली रहे। वह पहले बहुजन समाज पार्टी में थे। बसपा छोड़ने के बाद उन्होंने सबसे पहले समाजवादी पार्टी से संपर्क किया जहां उन्हें टिकट नहीं मिला। इसके बाद वे एआईएमआईएम आए और एआईएमआईएम पार्टी से मुबारकपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा। चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट के अनुसार उन्हें कुल वोटों के 24% से थोड़ा अधिक वोट मिले हैं।
प्रमुख मुस्लिम बहुल सीटों में देवबंद भी महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में से एक था। देवबंद दारुल उलूम देवबंद की वजह से जाना जाता है। AIMIM ने मौलाना उमेर मदनी को टिकट दिया था, जो केवल 3501 वोट प्राप्त कर सके। देवबंद से बीजेपी उम्मीदवार बृजेश सिंह ने जीत हासिल की। दिलचस्प बात यह भी है कि वाराणसी उत्तर विधानसभा सीट पर एआईएमआईएम ने इस चुनाव में गैर-मुस्लिम उम्मीदवार हरीश मिश्रा को टिकट दिया था।
AIMIM के उम्मीदवारों ने हासिल किए 22 लाख से अधिक वोट
वोट प्रतिशत और एआईएमआईएम के पक्ष में वोटों की वास्तविक संख्या के बारे में बात करें तो यह 2017 के विधानसभा चुनावों की तुलना में थोड़ा बेहतर प्रदर्शन है। 2017 में एआईएमआईएम पार्टी ने 38 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था और उन्होंने लगभग कुल 2 लाख वोट मिले थे। इस बार पार्टी के 100 उम्मीदवारों ने 22 लाख से अधिक वोट हासिल किए हैं जो वोट प्रतिशत नहीं तो कम से कम वोटों की संख्या में काफी वृद्धि है। 2017 में उत्तर प्रदेश में AIMIM को 0.2 फीसदी वोट मिले थे जबकि 2022 में उसे 0.4 फीसदी वोट मिले हैं।
बता दें कि 403 सीटों वाले यूपी विधानसभा के चुनाव के नतीजे गुरुवार को आए। इसमें भाजपा ने अकेले 255 सीटों पर जीत हासिल की है और एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है। वहीं समाजवादी पार्टी को 111 सीटें मिली। इसके अलावा बसपा को एक और कांग्रेस को दो सीटें ही मिल सकीं।